एंटी एयरक्रॉफ्ट बम की बढ़ी ताकत, तेजी से होंगे फायर

 

जबलपुर। ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया (ओएफके), जबलपुर में तकरीबन तीन साल बाद एक बार फिर 40 एमएम एल-70 एंटी एयरक्राफ्ट बम के उत्पादन की राह खुलती नजर आ रही है। इसके नए स्वरूप (वर्जन) को फैक्ट्री ने तैयार कर लिया है। इसे स्वीडन की 'नमोÓ नाम की कंपनी के साथ मिलकर अपग्रेड किया गया है। एक लॉट डीजीक्यूए को परीक्षण के लिए भेजा जा रहा है। इसके सफल होने पर फैक्ट्री के कर्मचारियों के पास फिर से 30 प्रतिशत अतिरिक्त वर्कलोड होगा।

दुश्मन के सैन्य विमानों को उड़ाने के लिए एल-70 एंटी एयरक्रॉफ्ट बेहद जरूरी बम है। सूत्रों ने बताया कि इस बम में स्वीडन की बोफोर्स कंपनी की तकनीक थी। यह 1960 से 65 के बीच लाई गई थी। इस बम का उत्पादन सिर्फ ओएफके में होता है। आखिरी लॉट वर्ष 2017 के आसपास डिस्पैच हुआ। उसके बाद इसका उत्पादन यहां बंद हो गया।
सेना की ओर से पुराना वर्जन नहीं लेने के पीछे इसके रेट ऑफ फायरिंग में बदलाव करना था। सूत्रों के अनुसार पूर्व में इसकी गन से करीब 240 राउंड प्रति मिनट फायर किए जाते थे। सेना ने इसमें बदलाव कर इसे 300 राउंड प्रति मिनट कर दिया। ऐसे में फायरिंग में समस्या आने लगी। इसलिए इसका उत्पादन बंद करना पड़ा।


इस बीच सेना की मांग के अनुरूप ओएफके ने इसमें बदलाव किया है। रक्षा मंत्रालय के माध्यम से स्वीडन की बोफोर्स कंपनी से सम्पर्क किया। मूल तकनीक इसी कंपनी की थी। इस पर बोफोर्स ने इसके अधिकार नमो नाम की कंपनी को दिए जाने की बात कही। फिर नमो कंपनी से सहयोग के आधार पर इसका मॉडिफिकेशन किया गया है। इसका प्राइमर व फ्यूज बदला गया है। इससे जो रेट ऑफ फायर सेना को चाहिए था, वह मिल गया। अब डायरेक्टर जनरल ऑफ क्वालिटी एश्योरेंस (डीजीक्यूए) इसका परीक्षण करेगा। फिर यूजर ट्रायल होगा। दोनों में पास होने पर इसका बल्क प्रोडक्शन क्लीयरेंस मिलने की उम्मीद है। ओएफके महाप्रबंधक रविकांत 40 एमएम के नए स्वरूप एल-70 नमो को विकसित किया गया है। इसका ट्रायल डीजीक्यूए करने जा रहा है। फिर आर्मी ट्रायल होगा। उम्मीद है यह दोनों ट्रायल सफल रहेंगे, फिर इसका बल्क प्रोडक्शन यहां शुरू हो सकेगा।



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