
जबलपुर। पश्चिम मध्य रेलवे की 3012 किलोमीटर की पूरी रेल लाइन अब विद्युतीकृत है। रेल पथ के सौ प्रतिशत विद्युतीकरण के लक्ष्य को हासिल करने वाला पमरे देश का पहला रेल जोन है। कोटा-चित्तौडगढ़़ के बीच श्रीनगर-जलंधरि रेलखंड के 23 किमी के इलेक्ट्रिफिकेशन कार्य को पूरा करने के साथ ही यह रेकॉर्ड बन गया है। इस रेलखंड 29 मार्च को सीआरएस ने जांच के बाद बिजली का इंजन दौड़ाने की अनुमति दी है। इस उपलब्धि के बारे में गुरुवार को पमरे महाप्रबंधक शैलेन्द्र कुमार सिंह ने जानकारी दी। वर्चुअल मीट में महाप्रबंधक ने बताया कि विद्युतीकृत रेल पथ के कारण ट्रेनों की गति बढ़ेगी। इससे यात्रा का समय कम होगा। रेलवे के डीजल पर प्रति वर्ष खर्च होने वाले लगभग 100 करोड़ रुपए की बचत होगी। पमरे मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी राहुल जयपुरियार, जनसम्पर्क अधिकारी आइए सिद्दकी उपस्थित थे।
चार साल पहले तक आधा रूट ही इलेक्ट्रिक था
वर्ष : विद्युतीकरण (किमी में): विद्युतीकृत कुल मार्ग : रेलखंड : प्रतिशत में
1986-87 : 544 : 544 : नागदा-मथुरा : 18
1988-89 : 150 : 694 : बीना-भोपाल : 23
1989-90 : 100 : 794 : भोपाल-इटारसी : 26 प्रतिशत
1992-93 : 283 : 1277 : बीना-कटनी : 42 प्रतिशत
2016-17 : 97 : 1695 : इटारसी-पिपरिया : 56 प्रतिशत
तेजी से काम हुआ और अब लक्ष्य पूरा
वर्ष : विद्युतीकरण (किमी में): विद्युतीकृत कुल मार्ग : लागत (रुपए में) : प्रतिशत में
2017-18 : 178 : 1873 : 254.71 करोड़ : 62.14
2018-19 : 296 : 2169 : 423.58 करोड़ : 72
2019-20 : 357 : 2526 : 510.87 करोड़ : 83.80
2020-21 : 486 : 3012 : 695.47 करोड़ : 100
विद्युतीकरण में प्रगति
वर्ष 2017-18 में पिपारिया-जबलपुर खंड (178 कि.मी.)
वर्ष 2018-19 में जबलपुर-कटनी, सगमा-मानिकपुर, कटनी- खन्नाबंजारी, विजयपुर-चचैड़ा बीना गंज एवं गुना-बदरवास खंड (296 कि.मी.)
वर्ष 2019-20 में सतना-सगमा, सतना-रीवा, खन्नाबंजारी-मझौली, पाचोर रोड-चाचैड़ा बीनागंज एवं बदरवास-शिवपुरी खंड (357 कि.मी.)
वर्ष 2020-21 में कटनी-सतना, पाचोर रोड-मक्सी, मझौली-मेहदीया, शिवपुरी-ग्वालियर एवं गुर्ला-चंदेरिया खंड (486 कि.मी.)।
ये होगा फायदा
- मालगाडिय़ों की औसत गति 30 किमी. प्रति घंटा थी। औसत गति बढ़कर 56.76 किमी. प्रति घंटा हुई।
- यात्री ट्रेनें पहले 80-100 किमी प्रतिघंटा की गति से चलती थी। यह बढ़कर 130 किमी प्रतिघंटा हुई।
- पहले 33 ट्रेनों में इंजन बदलने पड़ते थे। ये अब नहीं करना पड़ता। इससे ट्रेनों की गति में वृद्धि हुई है।
- इंजन बदलने में लगने वाले समय में कमी आने के कारण ट्रेनों की समय-सारिणी में समय कम हुआ है।
- इलेक्ट्रिक इंजन की रखरखाव लागत कम। इंजन ना बदलने से क्रू की बीट व उनकी उपलब्धता बढ़ेगी।
- विद्युतीकरण होने से रेल परिचालन सुगम। आयात होने वाले डीजल में कमी आएगी। प्रदूषण कम होगा।
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