
जबलपुर। नेशनल सेफ्टी डे या राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस चार मार्च को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य वर्कप्लेस पर सेफ्टी को बढ़ावा देना है। साथ ही वित्तीय नुकसान, स्वास्थ्य समस्याओं और जीवन में आने वाली कई अन्य समस्याओं-दुर्घटनाओं से सुरक्षित निकलने के लिए जागरूक करना है। देश और समाज की सुरक्षा के साथ अब लोग स्वयं की सुरक्षा को लेकर जागरूक होने लगे हैं। इसके लिए मंथन, मनन कर अधिक सुरक्षित जीवन जीना शुरू कर चुके हैं। वर्तमान में फाइनेंशियल, हेल्थ और एक्सीडेंटल सिक्योरिटी पर ज्यादा फोकस करने लगे हैं। एक्सपर्टस् भी लोगों को स्वयं व परिवार को सुरक्षित रखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
रोड सेफ्टी बहुत जरूरी
सुरक्षा का मतलब केवल वित्त और स्वास्थ्य नहीं होता है, बल्कि सडक़ सुरक्षा इन सबमें ऊपर आती है। लोगों को ये संकल्प करना चाहिए कि वे यातायात नियमों का पालन करें। परिजनों को बच्चों को वाहन चलाने के नियम भी सख्ती से बताएं। क्योंकि इससे ही जीवन सुरक्षित रहता है।
- संजय अग्रवाल, एएसपी यातायात जबलपुर
स्वास्थ्य सुरक्षा में बदलें धारणा
स्वास्थ्य सुरक्षित होने का सही अर्थ है मानसिक, शारिरिक और सामाजिक रूप से स्वस्थ रहें। शारिरिक रूप से सुरक्षित होने के लिए फिटनेस होना जरूरी है। मानसिक रूप से सुरक्षित होने के लिए महत्वकांक्षाओं अत्यधिक न बढऩे दें। सामाजिक स्वास्थ्य के लिए हमें महामारियों के बीच परिवार, दोस्त, समाज के साथ सामंजस्य बैठाकर अपना व्यवहार पीढिय़ों पुराना रखना होगा। योगा हमें शारिरिक मानसिक रूप दोनों तरह से सुरक्षित रखती है।
- डॉ. विकेश अग्रवाल, पीडियट्रिक सर्जन, नेताजी सुभाषचंद बोस मेडिकल कॉलेज
इवेस्टमेंट से फाइनेंशियल सेफ्टी
फाइनेंशियल सेफ्टी के लिए सबसे प्रमुख बजट बनाना और फिर पोर्टफोलियो डिजाइन करना। यानि अलग अलग प्रकार की योजनाओं में निवेश करने के साथ सुरक्षित निवेश करना शामिल है। साथ ही चक्रवर्ती वृद्धि की ताकत को समझना जरूरी है। अच्छी रेटिंग वाली कंपनियों में निवेश करना चाहिए। ताकि समय पर आपका पैसा मिल सके। आम आदमी अपनी सामान्य जरूरतों के हिसाब से प्रॉपर्टी में निवेश, बीमा, गोल्ड में वित्त सेफ्टी तय कर सकता है।
- एसके गुप्ता, कॉर्पोरेट एंड टैक्स कंसलटेंट
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