
लाली कोष्टा@जबलपुर। बच्चे और माता पिता के बीच प्यार की एक मजबूत डोर होती है, जो आसानी से नहीं टूटती। किंतु विचारधारा विपरीत होने पर परिवार में दरारें अक्सर आ जाती हैं। जिन्हें भरने वाले बमुश्किल मिलते है और उन्हें बड़ा करने वाले हमारे अपने आसपास ही मौजूद होते हैं। वहीं महिला को बचपन से पुरुष के आधीन होने का जीवन जीना होता है। वो कभी अपना परिचय खुद नहीं कर पाती है। यदि परिवार की दरारों को खूबसूरत रचना बना दिया जाए तो वे मिसाल बन जाते हैं, साथ ही महिला अपना परिचय खुद कर ले तो वो बेमिसाल बन जाती है। ऐसी ही मिसाल बन रही हैं जबलपुर निवासी 45 वर्षीय रचना सिंह। जिन्होंने इस नेक काम के लिए डिग्री भी कर ली है।

शौक ने बनाया प्रोफेशनल
रचना सिंह का कहना है कि वे पिछले 10-12 सालों से परिचितों व अनजानों को मुफ्त सलाह देकर उनके परिवार, बच्चों के बीच होने वाली अनबन को खत्म करने का काम करती आ रही हैं। काउंसलिंग करके सभी को फिर एक साथ लाना मुश्किल होता है, लेकिन टूटी प्रेम की डोर को फिर जोडकऱ ही मानती थी। इसके बाद पति राजेन्द्र सिंह पाल ने कहा कि क्यों इसे प्रोफशन बनाओ और काउंसलिंग की मास्टर डिग्री करो। विचार अच्छा लगा तो डिग्री कर ली। अब मुफ्त काउंसलिंग से रोजाना परिवारों, बच्चों के बीच पड़ी दरारों को भरने का प्रयास करती हैं।
महिलाओं को कराया खुद से परिचय, 350 परिवारों की दरारें भरीं
रचना सिंह के अनुसार बच्चियों को बचपन से जवानी तक पुरुषों के अधीन जीवन जीने की बात कहकर पाला जाता है। जिससे शादी के बाद वे खुद को खूंट से बंधी हुई समझती हैं। ऐसे में उनके अंदर मानसिक व शारिरिक विकृतियां पैदा हो जाती हैं जो उसे धीरे धीरे खोखला करती हैं। उन महिलाओं की काउंसलिंग कर उनका खुद से परिचय कराती हूं, अब तक 200 से ज्यादा महिलाएं आत्मनिर्भर बनने या सुखद जीवन जीना सीख चुकी हैं। वे अब खुद को बोझ नहीं मानती हैं। वहीं बच्चों के मामले में करीब 350 से ज्यादा परिवारों में माता-पिता व बच्चों के मतभेद और मनभेद को खत्म कर दोबारा खुशियां लौट आई हैं।

जरूरत के लिए हर पल तैयार
रचना सिंह सामाजिक संस्था मोक्ष और चैतन्य संस्था से भी जुड़ी हैं। जिनके माध्यम से वे नि:शुल्क कपड़े, अनाज, दवाइयां व अस्पताल तक की मदद जरूरतमंदों के लिए करती हैं। खासकर स्कूल जाने वाले गरीब बच्चों के लिए रचना स्वयं के खर्चे पर स्कूल फीस, ड्रेस और अन्य खर्चे वहन करती हैं।
बताने की जरूरत नहीं, ईश्वर देखता है सब
रचना सिंह की सबसे बड़ी बात ये कि वे अपने किसी भी काम को सोशल मीडिया तक में पोस्ट नहीं करतीं और न किसी से शेयर करती हैं। उनका माना है कि हम अपने अच्छे कार्यों को यदि बताएं तो वह दिखावा बन जाता है, जबकि हमारा ईश्वर हर काम को खुद देख रहा होता है। वैसे भी क्षत्रिय धर्म कहता है कि हम केवल काम करें नेकी करें पर उसे दिखावा न बनाएं। हमारा भगवान खुद इसका फैसला करेगा।
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