
लाली कोष्टा@जबलपुर। वे कहने को तो ऐसे समाज से आती हैं जिन्हें अति पिछड़ा और अशिक्षित समझा जाता है। जिस समाज में 70 प्रतिशत से ज्यादा लोग शराब के आदि हैं, परिवारों में कलह, दुर्दशा का आलम है। कमाई होने के बाद भी वे लोग कई बार भूखे रहने को मजबूर हो जाते हैं। लेकिन एक महिला जिसने इस धारणा को बदलने का संकल्प किया और 15 साल में वो बदलाव लेकर आई कि आज समाज की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं, बच्चे स्कूल जा रहे हैं और पुरुष शराब से दूर होने लगा है। हम बात कर रहे हैं जबलपुर निवासी समाजसेवी रागिनी कश्यप की।
कुरीतियों को खत्म करने किया संकल्प
रागिनी कश्यप बताती हैं कि कश्यप समाज का मुख्य व्यवसाय मछली पालन, बिक्री और सिंघाड़ा उत्पादन का है। पारंपरिक व्यवसाय होने के कारण अधिकतर लोग यही व्यवसाय करते चले आ रहे हैं। वहीं समाज में शराब की बुरी आदत के कारण अधिकतर घर बर्बाद भी हुए हैं। इन सब कुरीतियों को दूर करने के लिए 15 साल पहले संकल्प किया, जिसमें पति एडवोकेट शिव कश्यप ने पूरा समर्थन किया।

विरोध हुआ रोना आया पर हंसकर आगे बढ़ी
रागिनी के अनुसार कश्यप समाज में पुरुष प्रधानता रही है। जब लोगों को समझाना शराब के नुकसान और बिखरते परिवारों को संजोने की चर्चाएं शुरू की तो लोगों ने महिला होने के चलते बात नहीं मानी। विरोध भी किया, बात नहीं सुनते थे, कभी कभी रोना भी आया, पर समाज में सुधार लाने का दृढ़ निश्चय कर चुकी थी तो हंसकर आगे बढ़ती रही। शुरुआत के चार पांच साल लगे लोगों को समझाने में, फिर धीरे धीरे परिणाम सकारात्मक आने लगे। लोगों ने शराब छोडऩा, घर परिवार में प्रेम से रहना और बच्चों की शिक्षा पर जोर देने शुरू किया। अब उसका परिणाम दिखाई देता है।
परिवार की नींव महिला को बनाया आत्मनिर्भर
रागिनी ने पुरुषों की गलत आदतों को दूर करने के लिए उनके घरों की महिलाओं, बच्चियों को संगठित करना शुरू किया। उन्हें शराब से पति को दूर करने का हौंसला दिलाया, आत्मनिर्भर बनने के लिए सिलाई, कढ़ाई समेत अन्य ऐसे काम सिखाना शुरू किया जो उन्हें स्वरोजगार से जोड़ सके। काम सीखने के बाद अधिकतर महिलाएं खुद का काम कर रही हैं। उनके परिवार में अब झगड़े होना बंद हो गए हैं क्योंकि बच्चे भी पढ़ लिख गए हैं, पति को भी जिम्मेदारी का एहसास होने लगा है।

पति ने संभाली कानूनी कमान
समाज के लोग मछली और सिंघाड़ा का काम करते हैं। कई बार ठेकेदारों व तालाब मालिकों द्वारा उनका हक मारा जाता है, शोषण किया जाता है। उन्हें हक दिलाने के लिए रागिनी कश्यप का साथ उनके पति अधिवक्ता शिव कश्यप देते हैं। वे समाज में अधिकारों व समानता के लिए हर कानूनी मदद करते हैं।
कुरीतियों पर सीधा वार था...
रागिनी बताती हैं समाज पिछड़ा है, इस कारण खुलकर बात नहीं कर पाती और अपनी समाज में नहीं रख सकती थी। जिसको लेकर कई साल लग गए लोगों समझाने में। कुरीतियों पर सीधा वार था तो सामाजिक तौर पर बहिष्कार तो होना ही था, लेकिन महिलाओं और बच्चों को शिक्षित व प्रशिक्षित करने के फायदे जब लोगों को समझ आए तो आज ये आलम है कि लोग खुद से सलाह मशवरा करने आते हैं। आज भी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का काम निरंतर जारी है।
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