
जबलपुर। भूखंड और कृषि भूमि जैसी अचल संपत्तियों के मूल्य निर्धारण के लिए बनाई जा रही कलेक्टर गाइडलाइन में कुछ स्थानों पर शहर से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में दरें ज्यादा हो सकती हैं। जिला मूल्यांकन समिति में जो दरें प्रस्तावित की गई थीं, उनमें पाटन क्षेत्र में कृषि और भूखंड दोनों में कुछ स्थानों पर 20 से 30 फीसदी तक गाइडलाइन बढ़ सकती है। जबकि शहर में अधिकतम 25 फीसदी दरें तय की गई हैं। इनमें भी वे इलाके हैं जहां पर व्यापारिक गतिविधियां बहुत अधिक होती हैं।
जिला मूल्यांकन समिति की बैठक में तमाम सदस्यों के सुझाव के अनुसार भी अब दरों में परिवर्तन किया जा रहा है। इन्हें लगभग तीन श्रेणियों में रखा जा रहा है। 0 से 10 प्रतिशत, 10 से 20 प्रतिशत और 20 से 30 प्रतिशत। सोमवार तक संशोधित गाइडलाइन तय हो जाएगी। फिर इसे राज्य मूल्यांकन समिति को भेजा जाएगा। वहीं अंतिम निर्णय लिया जाना है। इसमें ज्यादा दरें वहां की तय की जा रही हैं जहां पर संपत्ति का पंजीयन गाइडलाइन से अधिक मूल्य पर हुआ है।

शहरी क्षेत्रों में यहां बढ़ेंगी दरें
सिविक सेंटर, बड़ा फुहारा, नेपियटर टाउन, राइट टाउन, घंटाघर, निवाडग़ंज, कोतवाली, करमचंद चौक, सिविल लाइन, ग्वारीघाट क्षेत्र, कटंगी रोड, माढ़ोताल, विजय नगर, मिलौनीगंज, हनुमानताल, रसल चौक, मदन महल, सगड़ा के अलावा राष्ट्रीय एवं राजमार्ग से लगे भूखंडों और कृषि भूमि के लिए ज्यादा दरें तय की जा रही हैं।
हाईवे के कारण बनी स्थिति
पाटन में उन्नत कृषि के अलावा हाईवे के बनने से स्थितियां बदली हैं। सूत्रों ने बताया कि करीब 45 स्थान हैं जहां पर 10 से 20 फीसदी के करीब कलेक्टर गाइडलाइन बढ़ सकती र्हं। लेकिन 55 से अधिक ऐसी जगह हैं जहां पर यह दर 20 से 30 फीसदी रह सकती हैं। यह इलाके नगरीय क्षेत्र के हैं। इसी प्रकार कृषि क्षेत्र में भी इतनी संख्या तय की गई जिसमें 30 फीसदी तक गाइडलाइन बढऩे की संभावना है। पाटन से शहर का जुड़ाव अब बेहतर हो गया है। हाईवे के कारण बहुत कम समय में यहां पहुंचा जा सकता है। जबलपुर से पाटन के बीच बड़ी तादाद में कृषि भूमि का स्वरूप भी तेजी से बदल रहा है। इस मार्ग पर अब बड़ी तादाद में आवासीय क्षेत्र विकसित हो रहा है। जबकि सिहोरा और जबलपुर उप पंजीयक कार्यालय के अंतर्गत कुछ स्थानों पर 10 से 25 फीसदी की दर से बढ़ोतरी हो सकती है।
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