मजाल क्या कि इन्हें कोई गार्डन कह सके : कहीं घूमते हैं सुअर-श्वान, बाकी जगह डम्प हो रहा मलबा-कचरा

जबलपुर। किसी भी शहर के लिए गार्डन महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। लेकिन, जबलपुर के अधिकतर उद्यान बद से बदतर हो गए हैं। नगर निगम इनका नियमित रखरखाव नहीं करता। उद्यान विभाग से लेकर सम्भागीय कार्यालयों के अधिकारी इनकी दुर्दशा पर ध्यान नहीं देते। वे जलकर की थोड़ी राशि नहीं मिलने पर नल कनेक्शन काटने चले जाते हैं, लेकिन उद्यान जैसी दूसरी सुविधाओं के लिए शिकायतों के बाद भी सुधार नहीं होता है। हाल में नगर निगम ने मॉर्निंग वॉक पर भी टैक्स लगाया था। विरोध के बाद इसे गुरुवार को वापस ले लिया गया। लेकिन, निगम प्रशासन ने उन पार्कों की स्थिति देखना भी उचित नहीं समझा, जहां ऑक्सीजन देने के लिए पौधे ही नहीं हैं। कहीं पर पौधों के नाम पर झाडिय़ां का जंगल है। उद्यान तो तलाशना पड़ता है।
300 से ज्यादा पार्क, सड़कों पर बैठते हैं बुजुर्ग
नगर निगम क्षेत्र के 79 वार्डों में 350 से अधिक छोटे एवं बड़े पार्क हैं। यह संख्या सुनकर लोगों को खुश हो जाना चाहिए, लेकिन वे ऐसा नहीं कर सकते। ज्यादातर पार्क में ***** विचरण करते हैं। कुर्सिया टूटी हैं। झूले कई वर्षों से सुधारे नहीं गए। पौधों की देखभाल के लिए माली नजर नहीं आते। ऐसे में बच्चे और बुजुर्ग सड़कों के किनारे बैठने मजबूर हैं।
जय नगर पार्क- यादव कॉलोनी के पास जयनगर पार्क की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। यह बड़ा रहवासी इलाका है लेकिन बच्चों और बुजुर्गों के लिए इस पार्क में सुविधाएं नदारद हैं। यह पार्क नाम का रह गया है। बच्चों को खेलने के लिए झूले और दूसरे उपकरणों का अभाव है। ऐसे में छोटे बच्चें भी सड़कों पर खेलते नजर आते हैं। शारदा नगर पार्क- रांझी स्थित शारदा नगर पार्क को देखने सालों से अधिकारी नहीं पहुंचे। हरी-भरी पहाड़ी व छोटे जलाशय के बीच बना यह पार्क अब मिट चुका है। जब यह बना था तब काफी संख्या में लोग सैर-सपाटा के लिए जाते थे। अब यहां पर गुंडे-बदमाश बैठते हैं। नगर निगम ने सुरक्षा पर ध्यान दिया न ही बच्चों के खेलने के उपकरणों के रखरखाव पर।
मनमोहन नगर पार्क - यह नाम का पार्क रह गया है। अधोसंरचना के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है। होना यह चाहिए कि बच्चों के मनोरंजन के लिए चीजें यहां पर लगाई जाएं। हरियाली के लिए पौधे और फूल भी लगाए जाने चाहिए लेकिन इस पर ध्यान ही नहीं दिया जाता। कॉलोनीवासी कहते हैं कि कई बार शिकायत की लेकिन कोई सुनता ही नहीं है।
शैलपर्ण भी उजड़ा-शैलपर्ण पार्क भी अब जेडीए से नगर निगम के पास आ चुका है। प्रकृति की गोद में बना यहा पार्क पर्यटन के लिहाज से जबलपुर के लिए वरदान साबित हो सकता है लेकिन इसका रखरखाव भी नगर निगम भूल गया है। जो निर्माण कराए गए थे वे लोगों ने तोड़ दिए हैं। उनकी मरम्मत से लेकर सुरक्षा की व्यवस्था यहां भी नहीं की गई है।
संग्राम सागर उद्यान- जब यहां पर निर्माण कार्य चल रहा था तब प्रचारित किया गया था कि यह जबलपुर की सबसे सुंदर जगह होगी। प्रकृति ने तो इसे सुंदर बनाया है लेकिन इनकी देखरेख की जिम्मेदारी जिस नगर निगम को मिली है, वह उसे ईमानदारी से नहीं निभाता है। कई सारी सुविधाएं जो यहां पर चाहिए वे नहीं हैं।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://bit.ly/3rKbUjz
#jabalpur

Post a Comment

0 Comments