
जबलपुर। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संबंध में बयान दिया कि वह मुख्यमंत्री पद पर रहने लायक नहीं है। क्योंकि उन्हें संविधान का ज्ञान नहीं है। वह गैरकानूनी बात करते हैं। उन्होंने यह बात मुख्यमंत्री के द्वारा माफियाओं के खिलाफ की जा रही कार्रवाई और उन्हें जमीन पर गाड़ देने की के बयान पर कहीं।
उन्होंने कहा कि माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई में भेदभाव किया जा रहा है। दरअसल कांग्रेस के शासनकाल में जिन लोगों को आवासीय पट्टे दिए गए थे। उन्हें ही हटाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के नेताओं के द्वारा सरकारी भूमि पर कब्जा कर कॉलोनी काटी जा रही हैं। उन पर कोई कार्यवाही मध्य प्रदेश की सरकार नहीं कर रही है वह केवल दलितों और शोषित के खिलाफ कार्रवाई में जुटी हुई है।
बंगाल में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में जय श्रीराम के नारे लगाए जाने के बाद ममता बनर्जी के भड़कने की बात पर उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता श्रीराम के नारे लगाते हैं। वे सीता जी को क्यों भूल जाते हैं। कम से कम प्रधानमंत्री ने तो अयोध्या में जय सिया राम का नारा दिया था। मेरा मानना है कि जय श्री राम की जगह जय सियाराम कहना ज्यादा उचित है।
केंद्र सरकार की कृषि कानून के संबंध में उनका कहना था कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कभी सफल नहीं रही है। छिंदवाड़ा में प्रयोग पहले किया गया है। दरअसल यह किसान और मल्टीनेशनल कंपनियों के बीच एक सौदा है। जो कि कभी सफल नहीं हो सकता इसी तरह उन्होंने अमित शाह के उस ट्वीट पर जवाब दिया। जिसमें उन्होंने कहा था कि वैक्सीन पर राजनीति ना करें। सिंह का कहना था कि इसमें राजनीति का सवाल कहां है ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने वैक्सीन के इमरजेंसी उपयोग करने के लिए कहा था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ उनका कहना था कि वैक्सीन कोबीशिल्ड 3 फेज में ट्रायल हो। भारत बायोटेक के वैक्सीन का तो ट्रायल भी नहीं हुआ। तो सवाल पूछना कहां गलत है। भाजपा को तो बालाकोट और पुलवामा पर सवाल पूछो तो भी लगता है कि राजनीति हो रही है।
जबलपुर के विकास को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा शनिवार को की गई बैठक के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यहां की जनता भाजपा के सांसद चुनती है। भाजपा के विधायक चुनती है और विकास की अपेक्षा कांग्रेस रखती है तो यह कैसे संभव है। दरअसल जबलपुर का विकास नहीं हुआ है। हमारे कार्यकाल में काफी कार्य जबलपुर को लेकर किए गए हैं। जबलपुर तो राजधानी की हकदार थी इसलिए जबलपुर के साथ हमेशा न्याय होना चाहिए।
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