कामवाली बाई के बच्चे चाहते थे पढऩा, इन महिलाओं ने मुफ्त में पूरी कोचिंग ही खोल दी

नेहा सेन@जबलपुर/ जिस तरह व्यक्ति के जीवन में शिक्षा का महत्व है, उसी तरह से स्वच्छ पर्यावरण की आवश्यकता लोगों के लिए है। शिक्षा और पर्यावरण ऐसे दो मुद्दे हैं जिनके विकास के लिए बातें सभी करते हैं लेकिन असल मायनों में काम कम लोग कर पाते हैं। इन दोनों ही मुद्दों पर सतत विकास कार्यों द्वारा ही बदलाव संभव हो सकता है, जिसके लिए शहर की दो सहेलियां रंजना खरगोनिया और श्वेता वर्मा काम कर रहीं हैं। इन दोनों ने ‘सार’ नाम से एक संस्था की स्थापना दो साल पहले की थी, जिसका उद्देश्य निशुल्क शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करना है।

श्वेता और रंजना ने बताया कि मैं अक्सर घर में मेड के बच्चों को उनके साथ में आते देखती थी। एक दिन किसी बच्चे से पढ़ाई के बारे में पूछा तो उसकी मां ने कहा, हम सिर्फ घर चलाने का पैसा कमा पाते हैं, फीस के लिए पैसा जुटाना मुश्किल होता है। इसलिए बच्चों को अच्छे स्कूल में भेज पाना संभव नहीं। उस बच्चे की आंखों में अच्छे स्कूल में पढऩे की चाह नजर आई। तभी से निशुल्क शिक्षा देने का निश्चय किया।

 

education.jpeg

महिला सदस्य ही इक्कट्ठा करती हैं फीस
श्वेता वर्मा ने बताया कि रंजना के साथ मिलकर जब इस संस्था की शुरुआत की तो मात्र दो लोगों के साथ कई बच्चों की पढ़ाई और कोचिंग करवाना संभव नहीं था, इसलिए उन्होंने अन्य महिलाओं को जोड़ा। अभी ग्रुप में 30 महिलाएं हैं, जो घरों में घरेलू मेड के बच्चों की स्कूल और कोचिंग की फीस, पैसे इक्कट्ठा करके देती हैं। अभी 60 से ज्यादा बच्चों का खर्च उठाया जा रहा है।

सोशल मीडिया से कनेक्टिविटी भी
दोनों सहेलियों का कहना है कि निशुल्क कोचिंग और पढ़ाई की जानकारी वे सोशल मीडिया पर भी खूब साझा करती हैं, ताकि जो अपने घरों में मेड के बच्चों को आता देखते हैं, वे उनकी पढ़ाई के लिए संपर्क कर सकें। कोचिंग के लिए टीचर्स भी संस्था द्वारा ही मुहैया करवाए जाते हैं। वहीं पर्यावरण संरक्षण के लिए ये सोशल मीडिया पर युवाओं को जोडऩे के लिए कैंपेन भी चलाती हैं।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://bit.ly/3cyQCAa
#jabalpur

Post a Comment

0 Comments