
जबलपुर . मप्र हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि हर फ्यूल स्टेशन (पेट्रोल-डीजल और गैस पम्प) में पीयूसी (पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल) सेंटर अनिवार्य करने के आदेश का उद्देश्य राज्य में लाखों वाहनों से उत्सर्जित होने वाली प्रदूषक गैसों और प्रदूषण का स्तर कम करना है। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने कहा कि आदेश में कोई खामी नहीं है। इस मत के साथ कोर्ट ने इस सम्बंध में दायर जनहित याचिका सारहीन पाकर खारिज कर दी। छिंदवाड़ा जिले के अनिल देशमुख, जयेश धनजी भाई शाह, मनोज पात्रीकर सहित कुल 25 पेट्रोल-डीजल पम्प संचालकों की ओर से यह याचिका दायर की गई। अधिवक्ता जयदीप सिरपुरकर ने कोर्ट को बताया कि 29 अगस्त 2017 को केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के लिए एक एडवाइजरी जारी की। इसके परिप्रेक्ष्य में राज्य के परिवहन आयुक्त (ग्वालियर) ने 15 अक्टूबर 2020 को प्रदेश के सभी क्षेत्रीय-जिला परिवहन अधिकारियों को आदेश जारी किए कि सभी फ्यूल स्टेशनों में पीयूसी सेंटर अनिवार्य रूप से स्थापित किए जाएं। छिंदवाड़ा कलेक्टर ने 5 नबम्बर 2020 को याचिकाकर्ताओं में से एक पेट्रोल पंप संचालक को उनके पम्प में पीयूसी सेंटर स्थापित करने के निर्देश दिए थे।
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