
जबलपुर। वित्तीय वर्ष के नौ माह बीतने को हैं, लेकिन आयुध निर्माणियों में सेना के लिए हथियारों का उत्पादन गति नहीं पकड़ पाया है। देश की 41 आयुध निर्माणियों के साथ जबलपुर में उत्पादन की स्थिति खराब है। सबसे खराब स्थिति वीकल फैक्ट्री जबलपुर की है। वह 30 नवम्बर की स्थिति में महज 6.4 फीसदी उत्पादन कर पाई है। बाकी तीनों का हाल भी ऐसा है। ऐसे में आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) ने हिदायत दी है कि इस माह तक इसे 70 से 80 फीसदी तक लाया जाए। ओएफबी ने देश की सभी आयुध निर्माणियों के उत्पादन की समीक्षा सम्बंधी पत्र सभी निर्माणियों के वरिष्ठ महाप्रबंधक एवं महाप्रबंधकों को लिखा है। इसमें उनका अचीवमेंट भी दर्शाया गया है। कई फैक्ट्रियों की स्थिति देखकर लगता है कि वहां उत्पादन बहुत धीमी गति से हो रहा है। पत्र में उल्लेख किया गया है कि वैसे ही सेना ओएफबी के लक्ष्य में कटौती कर रही है। यदि उत्पादन की ऐसी स्थिति अंतिम समय तक रही तो परिणाम ठीक नहीं होंगे।
आयुध निर्माणियों को दो प्रका के लक्ष्य मिलते हैं। एक डायरेक्ट इश्यू (डीआई) और दूसरा इंटर फैक्ट्री डिमांड (आइएफडी)। दोनों तरह के प्रकरणों में जबलपुर की आयुध निर्माणियों पिछड़ी हैं। डायरेक्ट इश्यू का मतलब सेना को उत्पादन कर सीधे सप्लाई करना और इंटर फैक्ट्री डिमांड का मतलब एक निर्माणी से दूसरी निर्माणी को वर्कलोड या ऑर्डर मिलना होता है। इन दोनों मामलों में निर्माणियां पिछड़ी हैं।
यह है स्थिति
निर्माणी—आइएफडी लक्ष्य—उत्पादन प्रतिशत
ओएफके 1545 36.7
जीसीएफ 602 16.9
वीएफजे 624 6.4
जीआईएफ 67 26.3
(लक्ष्य करोड़ रुपए में)
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