पायली में गंदगी फैलने से रोकने के लिए क्या है योजना

जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने जबलपुर के समीप सिवनी जिले की सीमा में स्थित पर्यटक स्थल पायली में असुविधाओं के मसले पर गम्भीरता दर्शाई। एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने सरकार से पूछा कि पायली में पर्यटकों द्वारा फैलाई जाने वाली गन्दगी रोकने के लिए क्या योजना है? अगली सुनवाई 25 जनवरी तक जवाब मांगा गया। सिवनी जिले के घंसौर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम पायली के निवासियों ने 18 जून को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को यह पत्र लिखा। पत्र में कहा गया गांव में रोजगार का कोई भी साधन नहीं है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गांव में कोई भी काम नहीं कराया गया। यहां तक कि इस योजना के अंतर्गत एक भी मकान गांव में नहीं बना। ग्राम कलकुही से पायली तक सड़क भी आज तक नहीं बनी। जिसके चलते यहां के बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने दिवारी, शिकारा व सूरजपुरा के स्कूलों में जाना पड़ता है। जिसमें उन्हें काफी परेशानी होती है। समग्र स्वच्छता अभियान के तहत गांव में कुछ टॉयलेट्स जरूर बनाए गए हैं, लेकिन वह आधे अधूरे हैं। इसके चलते गांव में टॉयलेट की भी समस्या है। गांव के लोगों को निस्तार के लिए जंगल या नर्मदा नदी के किनारे जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने पत्र में गुजारिश की कि इन सभी असुविधाओं को दूर करने के निर्देश दिए जाएं। तत्कालीन चीफ जस्टिस एके मित्तल ने पत्र को जनहित याचिका के रूप में दर्ज कर सुनवाई करने का निर्देश दिया था।

हाइकोर्ट ने कोर्ट मित्र से कराया निरीक्षण

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से 6 जुलाई को अधिवक्ता राहुल दिवाकर को कोर्ट मित्र (एमिकस क्यूरी) नियुक्त कर पायली का निरीक्षण करने के निर्देश दिए। राहुल दिवाकर ने 13 जुलाई को कोर्ट को ग्राम पायली का आंखों देखा हाल बताया। उन्होंने अवगत कराया कि ग्रामीण वास्तव में परेशान हैं।

300 मीटर सड़क बन रही

मंगलवार को राज्य सरकार की ओर से उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने कोर्ट को बताया कि पायली में 300 मीटर सड़क का निर्माण जारी है। कोर्ट मित्र अधिवक्ता दिवाकर ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि पायली ईको टूरिस्ट जोन है। यहां होने वाली गन्दगी रोकी जानी चाहिए। इस पर कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा।



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