इस शहर से भी अब बढ़ जाएगा निर्यात

 

जबलपुर। निर्यातक इकाइयों की बढ़ती संख्या को देखते हुए जिले में इनलैंड कंटेनर डिपो (आइसीडी) की जरूरत पर जोर दिया जाने लगा है। आत्मनिर्भर जबलपुर के रोडमैप में भी इस प्रस्ताव को राज्य शासन को भेजा गया है। यह मांग पुरानी है लेकिन कभी इस पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया। ऐसे में जिले की जो 8-10 निर्यातक इकाइयां हैं उन्हें अपने उत्पाद विदेशों तक पहुंचाने के लिए नागपुर या इंदौर आदि जगहों पर जाना पड़ता है। रोडमैप के तहत जबलपुर में आइसीडी के लिए जमीन चिन्हित करने का प्रस्ताव तैयार कर राज्य शासन के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजने की योजना बनाई गई है। इस संस्थान के लिए जानकार जबलपुर को बड़ा सेंटर मानते हैं। जिले में कुछ बड़े संस्थानों के अलावा आसपास के जिलों से आकर विदेश जाने वाले उत्पादों के लिए भी यह जगह उचित मानी जाती है। आइसीडी की स्थापना पर रोडमैप में भी जोर दिया गया है।
पमरे और सुरक्षा संस्थान
शहर में निजी क्षेत्र की आधा दर्जन से ज्यादा औद्योगिक इकाइयां हैं जिनका माल जबलपुर से निर्यात होता है। दुनिया के बड़े से लेकर छोटे देशों में भी चीजें पहुंचती हैं। इसके अलावा यहां पर चार आयुध निर्माणियां हैं। आयुध निर्माणी बोर्ड भी निर्यात को बढ़ावा देने की नीति पर काम कर रहा है। ओएफके से कुछ एमुनेशन को पहले निर्यात किया गया है। भविष्य में भी इसकी व्यापक संभावनाएं यहां पर बनेंगी। पश्चिम मध्य रेलवे का मुख्यालय भी जबलपुर में हैं। आइसीडी में रेलवे लाइन भी होती है। ऐसे में रेलवे के लिए आय का एक बड़ा जरिया भी यह संस्थान बनेगा। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें हजारों लोगों को रोजगार भी मिलता है। सबसे ज्यादा ट्रांसपोर्टेशन के व्यवसाय को फायदा मिलता है। कई तरह के खनिज, खाद्य पदार्थ, कृषि उत्पाद, दूध से निर्मित वस्तुएं, आइटी पार्क में बनने वाले उत्पाद, एमुनेशन, सीमेंट, छोटी मशीनरी आदि।
यह है आइसीडी
इनलैंड कंटेनर डिपो में निर्यातक इकाइयों के उत्पादों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने की प्रक्रिया पूरी की जाती है। इन वस्तुओं को बड़े-बड़े कंटेनर में रखकर बंदरगाह भेजा जाता है। फिर शिप की सहायता से उन्हें संबंधित देश भेजा दिया जाता है। आइसीडी में बड़े-बड़े गोदाम के अलावा रेल एवं सड़क परिवहन के लिए सुविधाएं होती हैं। यहां पर चीजों में टैग लगाया जाता है। कई प्रकार की प्रक्रियाएं होती हैं जिन्हें विदेश भेजने से पहले कंपनी को पूरी करनी पड़ती है। इस काम के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को प्रदेश में दूसरी जगहों पर स्थित आइसीडी जाना पड़ता है। इससे बनने से यह सुविधा भी शहर में मिलने लगेगी। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें हजारों लेागों को रोजगार भी मिल सकेगा। आइसीडी के अलावा औद्योगिक एवं व्यापारिक संगठन जबलपुर चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री शहर में आइसीडी के साथ लॉजिस्टिक पार्क की आवाज भी उठाता रहा है। चेंबर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हिमांशु खरे का कहना है कि जबलपुर को आइसीडी की जरूरत है। भविष्य में कई बड़ी निर्यातक इकाइयां यहां पर स्थापित होंगी। इसी से लगकर लॉजिस्टिक पार्क की स्थापना भी की जानी चाहिए।



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