बेपटरी हो गया जबलपुर का ये रेलवे स्टेशन

जबलपुर. रेलवे के जबलपुर मंडल ने जबलपुर में एक स्टेशन को खूबसूरत शक्ल दी। पिंक स्टेशन का दर्जा दिया। टिकट चेकिंग से लेकर पटरियों की सुरक्षा, ट्रेनों के संचालन की निगरानी से लेकर यात्रियों की सुरक्षा तक की जिम्मेदारी महिलाओं को सौंपी गई। लेकिन दो साल में ही सब कुछ बदल गया। सब कुछ आम रेलवे स्टेशन की तरह। वही अव्यवस्था, लापरवाही, गंदगी सब कुछ आम स्टेशनों जैसा। वो सपना ही टूटता सा नजर आने लगा है। ये हाल है जबलपुर का मदन महल रेलवे स्टेशन।

इस स्टेशन पर सीसीटीवी कैमरे भी लगे थे, लेकिन अब वो काम नहीं कर रहे। आलम यह कि प्लेटफार्म से लेकर बाहर तक बदहाली ही नजर आने लगी है, चाहे वह सर्कुलेशन एरिया हो या वाहन स्टैंड। अब तो स्टेसन के आसपास के भूखंडों पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा भी कर लिया है।

बता दें कि जब इस स्टेशन को पिंक स्टेशऩ का दर्जा दिया गया तो यहां तैनात सभी कर्मचारियों के लिए यूनिफार्म तय किया गया। लेकिन अब तो ज्यादातर कर्मचारी यूनिफार्म तक नहीं पहनते। ऐसे में यहां तो अब ये भी पता लगाना मुश्किल है कि कौन कर्मचारी है और कौन यात्री।

हाल ही में जब जबलपुर रेल मंडल के कमर्शियल विभाग के सीनियर डीसीएम ने स्टेशन का औचक निरीक्षण किया तो वह भी इस बदहाली देख कर दंग रह गए थे। ज्यादातर कर्मचारी बिना यूनिफार्म में थे जिसे पर सीनियर डीसीएम ने नाराजगी भी जताई थी। लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। यहां तक की कई महिला कर्मचारियों में सामंजस्‍य न बन पाने की वजह से ज्यादातर काम, एक-दूसरे पर टल दिए जा रहे हैं।

इतना ही नहीं अब तो मदनमहल रेलवे स्टेशन के टिकट काउंटर पर भी दलालों का पलड़ा भारी पड़ने लगा है। टिकट काउंटर से तत्काल टिकट लेने के लिए रात को ही लंबी कतार लग जाती है। कतार में लगने वालों में अधिकांश दलालों की टीम के सदस्य ही होते हैं। ये सब कुछ जानते हुए भी स्टेशन पर तैनात आरपीएफ और जीआरपी हाथ पर हाथ धरे है। सूत्रों की माने तो कतार में खड़े होने के भी दाम लगते हैं। रात भर खड़े होने वाले को 300 स्र्पये और सुबह के वक्त कतार में आने वाले को 100 स्र्पये तक मिलता है।



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