टीचर्स के पेंशन खाते में क्यों नहीं जमा की जा रही काटी हुई रकम

जबलपुर. मप्र हाइकोर्ट ने राज्य सरकार, शहडोल मेडिकल कॉलेज व अन्य से पूछा कि मेडिकल कॉलेज में पढ़ाने व कोरोनाकाल में मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर्स के वेतन से काटने के बावजूद उनके पेंशन खातों में यह राशि क्यों नहीं जमा की जा रही? जस्टिस नंदिता दुबे की सिंगल बेंच ने सभी से जवाब मांगा। इसके लिए 10 दिन का समय दिया गया। शहडोल शासकीय मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में टीचर के पद पर कार्यरत डॉ. रत्नेश गजभिए, डॉ. सुनील तिड़के, डॉ. राजेश टेम्भूर्णिकर, डॉ. राजेश खरात सहित 15 मेडिकल टीचर्स की ओर से याचिका दायर की गई। अधिवक्ता आदित्य संघी ने कोर्ट को बताया कि 2004 में सरकार ने सरकारी कर्मियों के लिए नेशनल पेंशन योजना लागू की। इसके तहत हर कर्मी के वेतन से एक निश्चित राशि काटकर नियोक्ता जमा करता है व सरकार भी इसमें अंशदान देती है। यह राशि जमा रहती है और रिटायरमेंट के बाद पेंशन के रूप में ब्याज समेत मिलती है। इसके तहत हर कर्मी का एक परमानेंट रिटायरमेंट एकाउंट नम्बर जारी किया जाता है। याचिकाकर्ताओं के वेतन से इस योजना के तहत लगातार राशि काटी जा रही है। लेकिन, यह उनके पेंशन खातों में जमा न कर अन्यत्र खर्च की जा रही है। यहां तक कि याचिकाकर्ताओं के परमानेंट रिटायरमेंट एकाउंट नम्बर भी जारी नहीं किया गया। इसके चलते याचिकाकर्ताओं को आयकर में भी छूट नहीं मिल रही है। उन्हें वेतन भी कम मिल रहा है। आग्रह किया गया कि याचिकाकर्ताओं के वेतन से काटी जा रही राशि के एवज में उनके पेंशन खातों में ब्याज सहित निर्धारित राशि जमा करवाई जाए। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका में बनाए गए अनावेदकों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।



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