
जबलपुर। संस्कारधानी जबलपुर के आध्यामिक जगत में बुधवार की सुबह सूर्योदय के साथ ही एक और नक्षत्र का उदय हुआ। नम आंखों के साथ, सिसकियों को दबाए लरजते स्वर में जब परिजन और उपस्थित श्रद्धालुओं ने जिनेन्द्र जैन को जैनेश्वरी दीक्षा लेने के लिए अपनी सहमति दी, तो शिवनगर जैन मंदिर परिसर में मौजूद हर कोई भावुक हो उठा। दीक्षा की रस्में पूरी करते हुए जिनेन्द्र ने स्वयं अपने केशों का लुंचन और उपस्थित समाज के समक्ष एक एक कर वस्त्र त्याग किए तो आस्था के सागर में उफान आ गया। सभी के दिल भारी थे, लेकिन सभी इसलिए आल्हादित भी थे कि मुनि शिवसागर बने जिनेन्द्र जैन कर्म बंधन से मुक्ति की राह में बढ़ चले हैं।
स्वयं किया केश लुंचन
आचार्य वर्धमान सागर के ससंग 24 तीर्थंकर भक्ति पाठ के सस्वर नाद के साथ मोक्ष मार्ग की कठिन साधना की शुरुआत जिनेन्द्र कुमार जैन ने अपने सिर के बालों को अपने हाथों से उखाड़ कर केश लोचन क्रिया पूर्ण कर की। मंच पर जैसे ही विधानाचार्य ब्रह्मचारी त्रिलोक ने, 'जिनेन्द्र ने देखो जिनेन्द्र के पथ पर कैसी लगन लगाई है मोक्ष मार्ग का साधक बनकर आतम ज्योति प्रगटाई है, पिता पूर्णचंद्र को धन्य किया कुल की शान बढ़ाई है। परिवार समाज का मान बढ़ाया रत्नात्रय निधि प्रगटाई है।Ó गीत गाया तो सम्पूर्ण वातावरण भाव विभोर हो गया। दीक्षार्थी जिनेन्द्र कुमार जैन ने दीक्षा का निवेदन करते हुए कहा 'हे आचार्य भगवन, मुझे इस भव समुद्र से पार होने के लिए जैनेश्वरी मुनि दीक्षा प्रदान करें, ताकि मैं अपना आत्म कल्याण कर सकूं।Ó
दीक्षार्थी जिनेन्द्र ने गुरुदेव विद्यासागर महाराज, मुनि सुधासागर महाराज एवं सम्पूर्ण जैन समाज से जाने अनजाने में हुई त्रुटियों के लिए क्षमा याचना की। सम्पूर्ण जैन समाज ने भी हाथ जोड़कर जिनेन्द्रजी से क्षमा याचना की। इसके बाद जिनेन्द्रजी की धर्मपत्नी एवं सोधर्म इंद्राणी ने मंच पर मंगल स्वास्तिक बनाया। उस पर सफेद वस्त्र बिछाकर दीक्षार्थी जैनेंद्र कुमार को उस दीक्षा आसन पर बिठाया गया। आचार्य वर्धमान सागर महाराज ने दीक्षा मंत्रों के साथ दीक्षा विधि प्रारम्भ की। दीक्षार्थी को पीछी कमंडल भेंट करने का सौभाग्य दीक्षार्थी के परिवार जन ने प्राप्त किया। आचार्य वर्धमान सागर महाराज ने कहा कि दीक्षा आत्म कल्याण का रास्ता है। दीक्षार्थी शिव नगर के वासी हैं, और मोक्ष का नाम भी शिवनगर है। अत: जो आज तक जिनेन्द्र कुमार जैन के नाम से जाने जाते थे, उनका नाम 108 मुनि श्री शिव सागर महाराज रखता हूं। नाम की घोषणा होते ही पूरा परिवेश शिवसागर महाराज की जय जयकारों से गुंजायमान हो गया।
ब्रह्मचारी त्रिलोक ने कहा यह शिवनगर है। यहां से मोक्ष मार्ग पर चलने वाले जीव निरंतर आगे बढ़े हैं। मुनि निरुपम सागर महाराज, मुनि प्रभात सागर महाराज और अब जिनेन्द्र जैन शिव सागर महाराज के रूप में मोक्ष मार्ग पर अग्रसर है। समाज की ओर से दीक्षा प्रदान करने का निवेदन अध्यक्ष सुनील चौधरी ने किया। मंच संचालन ब्रह्मचारी त्रिलोक, अमित शास्त्री, अमित पड़रिया एवं संजय प्रभात जैन ने किया। संगीतकार नंदकुमार वैशाली जैन ने दीक्षा भजन प्रस्तुत किए।
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