
जबलपुर। कोरोना की दूसरी लहर जबलपुर में भले ही खतरनाक हुई, लेकिन संक्रमण का खतरा बना हुआ है। यहां के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के एक पीजी स्टूडेंट की जांच रिपोर्ट दोबारा कोविड-19 पॉजिटिव आने से डॉक्टरों और जानकारों की चिंता बढ़ गई है। कोरोना काल में मेडिकल कॉलेज के पीजी स्टूडेंट भी संक्रमितों के उपचार में जुटे थे। इसी दौरान पीजी स्टूडेंट किसी संक्रमित के सम्पर्क में आकर पॉजिटिव हुई थी। कोरोना की पहली लहर के करीब दो महीने बाद पीजी स्टूडेंट पहली बार पॉजिटिव मिली थी। उस वक्त उसमें कोरोना के सामान्य लक्षण थे। स्वस्थ होने के करीब चार महीने बाद उसमें दोबारा संदिग्ध लक्षण मिले। समय पर जांच और इलाज होने से वह खतरे से बाहर है।
चार महीने में दोबारा संक्रमित
नई कोविड गाइडलाइन में संक्रमित मिलने पर इलाज के बाद सेहत में सुधार आने के 17 दिन बाद मरीज को डिस्चार्ज कर दिया जाता है। डिस्चार्ज करने से पहले रिपीट कोविड टेस्ट को समाप्त कर दिया गया है। मरीज को कुछ दिन घर में क्वारंटीन रहने की नसीहत के साथ घर भेज दिया जाता है। रिपीट टेस्ट न होने से स्वास्थ्य विभाग मरीज के दोबारा संक्रमण की पुष्टि नहीं कर पा रहा है। जानकारी के अनुसार पहले भी उपचार के दौरान कुछ कोरोना मरीज दोबारा संक्रमित होने की शिकायत लेकर पहुंचे थे, लेकिन वे संक्रमित पाए जाने के 15 से 30 दिन के अंदर के मामले थे। यह पहला मामला है, जब कोई संक्रमित 3-4 महीने बाद दोबारा पॉजिटिव आया है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के स्कूल ऑफ एक्सीलेंस इन पल्मोनरी मेडिसिन के डायरेक्टर डॉ. जितेंद्र कुमार भार्गव के अनुसार कोरोना वैक्सीन आने तक सावधानी ही संक्रमण से एकमात्र बचाव है। इसलिए बाहर निकलने पर मास्क नहीं लगाने, भीड़ में जाने और बार-बार हाथ धोने में लापरवाही स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है। शीतकाल में बुजुर्गों और बच्चों की सेहत का ध्यान रखना आवश्यक है।
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