
जबलपुर। आत्मनिर्भर जबलपुर के तहत आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के लिए प्रस्तावित रोडमैप तैयार किया गया है। इसमें खाद्य पदार्थ, दूध, कृषि उत्पाद आदि की प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के अलावा औद्योगिक क्षेत्रों में निवेश, लाइट मशीनरी, फेब्रीकेशन, टिंबर और बांस आधारित क्लस्टर के निर्माण को शामिल किया गया है। इसी तरह राष्ट्रीय उद्यान, प्राकृतिक संसाधन और भेड़ाघाट जैसे विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल होने के कारण इसे पर्यटन हब बनाने पर जोर दिया गया है। कृषि, उद्यानिकी एवं पशु उत्पादों को आधार बनाकर रोजगार के संसाधनों को विकसित किया जा सकता है। प्रदेश शासन ने जिलों को अपना रोडमैप तैयार करने के लिए कहा है। रोडमैप को चार समूहों में विभाजित किया गया है। इसमें एक आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश रोडमैप 2023 की संकल्पना के अनुरूप आर्थिक विकास एवं रोजगार सृजन के लिए जबलपुर का रोडमैप तैयार किया गया है। जल्द ही इसे शासन को भेजा जाएगा। इसमें 14 विभाग और संस्थाओं के माध्यम के सुझावों को शामिल किया गया है। इन्हीं के आधार पर आगामी तीन वर्षों में आत्म निर्भर जबलपुर की दिशा में काम किया जाएगा। इससे न केवल शहर में हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा बल्कि निवेश भी आएगा।
खेती और किसानी : जिले में धान, मटर, गेहूं और चना का उत्पादन व्यापक पैमाने पर होता है। इनकी प्रसंस्करण इकाइयां एवं उच्च किस्मों का उत्पादन रोजगार सृजन में मदद कर सकता है। मटर के बाद दूसरे कृषि उत्पादों जैसे गाजर, टमाटर, मूली, मिर्च और ब्रोकली को लगाया जा सकता है। ताकि इन उत्पादों पर आधारित उद्योगों को कच्चा माल मिल सके। धान की उच्च किस्में लगाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे इनका अधिक मात्रा में निर्यात हो सके। इसके लिए कृषि विश्वविद्यालय एवं कृषि विज्ञान में विकसित की जा रही आधुनिक तकनीक को किसानों तक पहुंचाने की पहल की जाएगी।
दूध का उत्पादन : जबलपुर में उत्पादिन दूध का 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सा बिना प्रसंस्करण के दूसरे राज्य या जिलों में चला जाता है। एक अनुमान के अनुसार रोजाना करीब 2 लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है। दूध बाहर जाने से पशुपालकों को इसका उचित दाम भी नहीं मिलता। ऐसे में आने वाले तीन वर्षों में 50 से अधिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के गठन के साथ ही मौजूदा समितियों की क्षमताएं बढ़ाई जाएंगी। इसी प्रकार दूध का 100 फीसदी प्रसंस्करण जबलपुर में करने तथा 10 मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता का एक मिल्क पावडर उद्योग भी लगाने का प्रस्ताव बनाया गया है।
पोल्ट्री-मछली पालन : मध्यप्रदेश में पोल्ट्री उद्योगों के मामले में जबलपुर अग्रणी जिला है। 20 से अधिक बड़े और 50 से ज्यादा छोटे उद्योग हैं। रोजगार के लिए फीनिक्स पोल्ट्री से ग्रामीण क्षेत्र के एक सैकड़ा से अधिक महिला स्व- सहायता समूहों को जोड़ा जाएगा। इससे करीब एक हजार महिलाओं को रोजगार मिलेगा। मछली उत्पादन अभी की स्थिति में करीब 4 मीट्रिक टन होता है। इसमें ज्यादा लोगों को रोजगार मिले इसलिए तीन वर्षों में उत्पादन को करीब साढ़े पांच मीट्रिक टन तक बढ़ाने की परियोजना तैयार की गई है।
नए उद्योगों की स्थापना : औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग तथा एमएसएमई विभाग मिलकर जिले में दुग्ध, कृषि एवं बागवानी जैसे उत्पादों की जरूरतों का आकलन कर इनसे जुड़े उद्योगों की स्थापना का काम करेंगे। इनमें खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना, कोल्ड स्टोरेज, रेफ्रीजरेटेड ट्रांसपोर्ट सिस्टम बनाना, निवेशकों को प्रोत्साहित करना, खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में पूंजी निवेश बढ़ाकर निर्यात को बढ़ावा दिया जाएगा। निर्यात को लेकर इनलैंड कंटेनर की स्थापना के लिए सही जगह का चयन किया जाना है। इसका प्रस्ताव राज्य शासन की तरफ से भारत सरकार को भेजा जाएगा।
नर्मदा एक्सप्रेस वे : जिले में नर्मदा नदी के कैचमेंट एरिया में प्रस्तावित नर्मदा एक्सप्रेस वे के अंतर्गत पहले से स्थापित उमरिया-डुंगरिया औद्योगिक क्षेत्र में निवेशकों के लिए 20 हेक्टेयर से अधिक भूमि आवंटन के लिए उपलब्ध है। यही नहीं इससे लगी 54 एकड़ भूमि भी है जो कि निवेशकों की दी जा सकती है। यही नहीं नर्मदा एक्सप्रेस से लगी एक अन्य 43 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाली भूमि को भी औद्योगिक कार्यों के लिए उपयोग में लाने के लिए हस्तांतरण की प्रक्रिया भी चल रही है। वहीं पहले से उमरिया-डुंगरिया और हरगढ़ औद्योगिक क्षेत्र की विकसित औद्योगिक भूमि पर उद्योग लगाए जाएंगे।
दो औद्योगिक नोड्स : जिले के प्रस्तावित और स्थापित औद्योगिक क्षेत्रों में करीब 240 एकड़ भूमि में दो औद्योगिक नोड्स को विकसित करने की योजना है। इसमें करीब 200 करोड़ रुपए के निवेश आने की संभावना जताई गई है इसके जरिए जिले में आगामी पांच वर्षों में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से 4 हजार व्यक्तियों को रोजगार मिल सकेगा। इसी प्रकार जिले में स्थापित इंक्यूबेशन सेंटर के स्टार्ट अप को को जरूरी सुविधाएं दी जाकर प्रोत्साहित किया जाएगा। वहीं निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए जिला स्तरीय निर्यात प्रोत्साहन समिति का गठन भी किया जाएगा।
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