
जबलपुर. वायु प्रदूषण को लेकर NGT ने कई ऐसे शहर चिन्हित किए जहां का एयर इंडेक्स बहुत खराब था। ऐसे में एनजीटी ने ऐसे शहरों में दीपावली पर पटाखा छोड़ने पर पाबंदी लगाई। उनमें से एक शहर जबलपुर भी रहा। हालांकि यहां सीएम शिवराज सिंह चौहान के ट्वीट के बाद जिला व नगर निगम प्रशासन ने पटाखा बेचने के लाइसेंस भी जारी कर दिए। पटाख की दुकानों के लिए स्थान भी निश्चित हो गया। दुकानें भी सज गईं। फिर अचान एनजीटी के आदेश पर आतिशबाजी पर रोक लगी। लेकिन वह रोक व्यावहारिक नहीं बन सकी। नतीजतन दीवाली की रात जमकर आतिशबाजी हुई।
आलम यह था कि दीपावली की शाम से लेकर देर रात तक जमकर आतिशबाजी हुई। पूरी रात पटाखों का कानफाड़ू शोर गूंजता रहा। आसमान में कार्बनयुक्त धुएं ही धुएं दिखे। लोगों को परेशानी भी हुई। खास तौर पर सांस लेने में दिक्कत वाले मरीजों को, अस्थमा रोगियों को। लेकिन उनकी परवाह न पटाखा फोड़ने वालों को रही, न पुलिस प्रशासन ही इस आतिशबाजी को रोक पाने में सफल रहा। वैसे कमोबेश यही हाल उन सभी शहरों का रहा जहां-जहां के लिए एनजीटी ने आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगाया था।
दीपावली की अगली सुबह यानी रविवार को सड़कें पटाखों की राख व जले कागजों से पटा नजर आया। जहां देखें वहीं पटाखो के अवशेष का कचरा फैला नजर आया। उधर दीपावली के बाद नगर निगम में अवकाश रहा। सफाईकर्मी काम पर आए नहीं तो उन कचरों को हटाता कौन।
हालांकि अब तक नगर निगम पूर्व के वर्षों में दीवाली के दिन सफाई कर्मियों की ड्यूटी में कटौती कर, परिवा के दिन, शहर की साफ-सफाई करवाता रहा लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। परिवा में शहर में झाडू तक नहीं लगा। सबसे बुरी स्थिति बाजारों की रही जो दीवाली पर भी देर रात तक गुलजार रहे और वहां से निकला कचरा सडकों पर फैलता रहा। मुख्य बाजारों में सुबह से गंदगी नजर आने लगी थी। सडकों और गलियों में फैली गंदगी को लेकर लोगों ने निगम अधिकारियों को फोने भी लगाए लेकिन इसके बावजूद न झाडू लगा न ही कचरा उठा।
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