
जबलपुर. तमाम प्रगति हो गई हो, पर इन बिजली कर्मचारियों खास तौर पर पोल पर चढ़ कर मेंटेनेंस का काम करने वाले कर्मचारियों की जान हमेशा हलक में रहती रही है। शटडाउन लेने के बाद भी हर वक्त डर बना रहता है कि कहीं से लाइन चालू न हो जाए और करंट न प्रवाहित हो जाए। ऐसा अक्सर होता आया है। कई कर्मचारियों की जान जा चुकी है। लेकिन अब शायद ऐसा होने से रुक जाए, क्योंकि बिजली विभाग ने एक ऐसा उपकरण कर्मचारियों को मुहैया कराने का निर्णय लिया है जिससे शट डाउन लेने और पोल पर चढ़ने से पहले कर्मचारी ये सुनिश्चित कर पाएंगे कि लाइन में करंट प्रवाहित हो रहा है या नहीं।
बता दें कि अब तक ये व्यवस्था रही है कि किसी हाईवोल्टेज लाइन 11केवी, 33 केवी, 132 केवी या इससे भी ऊपर की लाइन के मेंटेनेंस से पहले संबंधित उपकेंद्र से शट डाउन लिया जाता है। शट डाउन सुनिश्चित होने के बाद ही काम शुरू करने का नियम है। काम पूरा होने के बाद लाइन मैन अपने सीनियर को इत्तिला करता है, फिर संबंधित अभियंता उपकेंद्र को सूचित कर लाइन चालू कराता है। लेकिन कई बार मानवीय भूल वश काम के बीच में ही लाइन चालू होने पर बड़े हादसे भी हो जाते हैं।

इस तरह के हादसे को रोकने का काम यह उपकरण करेगा। यह एक माचिस की डिब्बी जितना बड़ा यंत्र है जो बैटरी चालित है और जेब में रखा जा सकता है। लाइन मेंटेनेंस के लिए लाइनमैन जब उपकेंद्र से शट डाउन लेकर उस लाइन के नीचे खड़ा होगा या पोल पर चढ़ेगा तो उसे लाइन चालू रहने की स्थिति में 6 से 8 फीट दूर से इस उपकरण से तेज आवाज निकलेगी और लाइट जलने लगेगी। यानी हाईटेंशन तार में करंट प्रवाहित हो रहा है। ऐसा होते ही लाइन मैन सतर्क हो जायेगा और हादसा टल जाएगा।
कार्यपालन अभियंता शरद बिसेन बताते हैं कि यह उपकरण एक इलेक्ट्रॉनिक्स सर्किट है जो आसपास मौजूद इलेक्ट्रोस्टेटिक फील्ड की तीव्रता के अनुसार ध्वनि व लाइट पैदा करता है। इस प्रकार यह 440 वोल्ट से लेकर 400 केवी तक की लाइन में करंट होने का आभास दूर से ही कर लेता है, जितना अधिक वोल्टेज स्तर उतनी ही दूरी से यह आभास करता है। यह यंत्र हाल में मंडला के लाइन कर्मचारियों को नि:शुल्क वितरित किया गया है।
इस उपकरण को मंडला में तैनात कार्यपालन अभियंता शरद बिसेन ने इजाद किया है। इसका निर्माण आइकॉन ऑटोमेशन के राजजेव अग्रवाल कर रहे है।
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