
जबलपुर। दिवाली मिलन के साथ ही नगरीय निकाय चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। महापौर से लेकर पार्षद बनने का सपना संजोए राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता वार्ड स्तर पर हर घर जाकर लोगों से मिल रहे हैं। नगर निगम के 79 वार्डों के लिए आरक्षण की प्रक्रिया पूरी हो गई, अब सभी को महापौर के आरक्षण का इंतजार है। इसके साथ ही नगर निगम चुनाव की सियासी बिसात बिछ जाएगी। प्रशासक के हाथों में निगम की बागडोर आए एक साल पूरा होने को है। पूर्व महापौर से लेकर पूर्व पार्षदों का मानना है की नगर विकास के कार्य ठप हो गए हैं, आमजन की सुनवाई नहीं हो रही है। स्ट्रीट लाइट से लेकर पानी की पाइप लाइन का लीकेज नहीं सुधर पा रहा है। ऐसे में विकास कार्यों को गति देने के लिए नगर में चुने हुए जनप्रतिनियों का नेतृत्व आवश्यक है। इसके लिए शीघ्र निगम के चुनाव होना चाहिए।
आरक्षण पर टिकी है नजर
वार्ड आरक्षण के बाद अब सभी की नजर महापौर पद के आरक्षण पर टिकी है। पिछली बार महापौर पद सामान्य महिला वर्ग के लिए आरक्षित था। इससे पहले ओबीसी पुरुष का आरक्षण था। जबकि दो कार्यकाल पहले सामान्य वर्ग महिला के लिए पद आरक्षित हुआ था।

अब तक ये रह चुके हैं महापौर
पं भवानी प्रसाद तिवारी, रामेश्वर गुरु, इंदिरा शर्मा, मुंदर शर्मा, डॉ केएल दुबे, एमपी दुबे, समाई मल जैन, मुलायम चंद जैन, पन्ना लाल श्रीवास्तव, गुलाब चंद गुप्ता, बाबूराव परांजपे, गंगा प्रसाद पटैल, शिवनाथ साहू, नारायण प्रसाद चौधरी, कल्याणी पांडेय, विश्वनाथ दुबे, सदानंद गोडबोले, सुशीला सिंह, प्रभात साहू, स्वाति गोडबोले।
ये मुद्दे गरमाएंगे
- नगर का पिछड़ापन
- प्रशासन का निरंकुश होना
- नगर का स्वच्छता में बार-बार पिछडऩा
- नर्मदा किनारे भी आए दिन जल संकट
- रोजगार के अवसर न होना
- स्मार्ट सिटी के विकास कार्यों की सुस्त चाल
- महानगरों के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी

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