
जबलपुर। शहर के वायुमंडल में पीएम 2.5 और पीएम 10 के कण लगातार बढ़े हुए हैं, इसका असर ओजोन पर भी पड़ रहा है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) के नियमित आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि ओजोन का स्तर भी घट रहा है। कई बार तो ओजोन का स्तर बहुत कम हो रहा है। पर्यावरणविदें की मानें तो एक्यूआई का लगातार बढ़ा होना और ओजोन का स्तर घटना अच्छा संकेत नहीं है। उनका मत है कि समय रहते प्रदूषण नियंत्रण के कदम नहीं उठाए गए तो भविष्य में हालात भयावह हो सकते हैं।
ओजोन का घट रहा स्तर, एक्यूआई मध्यम श्रेणी में
वायु में बाकी कंटेंट सामान्य स्तर पर
वायुमंडल में पीएम 2.5, पीएम 10 के अलावा अन्य कं टेंट के आंकड़ों पर नजर डालें तो नाइट्रोजन आक्साइड, सल्फर डाई आक्साइड सामान्य स्तर पर हैं। यानि वायु की गुणवत्ता को सबसे ज्यादा नुकसान पीएम 2.5 और पीएम 10 के बढ़े हुए कणों के कारण ही पहुंच रहा है।
क्रसर से लेकर अनियोजित निर्माण बड़ा कारण- विशेषज्ञों की मानें तो शहर की सीमा पर संचालित क्रशर से वायु में बड़े पैमाने पर हार्ड डस्ट मिल रही है। साथ ही नगर में चल रहे निर्माण कार्यों में आवश्यक उपाय नहीं किए जाने के चलते भी हवा में पीएम 2.5 व पीएम 10 के कण लगातार बढ़े हुए हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो वायुमंडल में उपरोक्त बदलाव के चलते लोगों को श्वसन सम्बंधी समस्या हो सकती है। अस्थमा, हृदय रोग व एलर्जी से पीडि़तों की तकलीफ बढ़ सकती है।
मौसम में आए बदलाव के कारण कई बार ओजोन का स्तर तय सीमा के मुकाबले प्रभावित हो जाता है। एयर क्वालिटी इंडेक्स धीरे-धीरे कम हो रहा है।
- एसके खरे, वैज्ञानिक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
वायुमंडल में पीएम 2.5 व पीएम 10 के कण बढ़े होने का असर ओजोन पर भी पड़ता है। इसके कारण ओजोन का स्तर कम हो जाता है। हालांकि वायु में अन्य कं टेंट मानक स्तर के आसपास हैं।
- डॉ. पीआर देव, वैज्ञानिक
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