अब वीएफजे के हवाले सेना को शारंग तोप की डिलेवरी

 

ये है स्थिति
- वीएफजे-जीसीएफ से 17 तोप डिस्पैच
- 130 एमएम का अपग्रेड वर्जन है शारंग
- सेना के पास 300 हैं 130 एमएम तोप
- 200 करोड़ से ज्यादा का होगा काम
- 38-40 किमी है मारक क्षमता
- ग्लोबल टेंडर में ओएफबी को अपग्रेडेशन का मौका

जबलपुर। सेना को अब गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) जबलपुर के बजाय वीकल फैक्ट्री जबलपुर (वीएफजे) से 155 एमएम 45 कैलीबर शारंग तोप की डिलेवरी की जाएगी। आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) द्वारा शारंग तोप प्रोजेक्ट की शिफ्टिंग के बाद यह बदलाव हुआ है। इस बीच जीसीएफ में तैयार कुछ तोप को हाल ही में सेना के सुपुर्द किया गया है। इन्हें मिलाकर अब तक 17 तोप डिस्पैच की जा चुकी है। अब हर माह 8 से 10 तोप सेना को डिस्पैच करने की योजना है। 38 से 40 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन पर गोला बरसाने वाली शारंग तोप अभी तक गन जीसीएफ और वीएफजे में तैयार की जा रही थी। यह 130 एमएम तोप का अपग्रेड वर्जन है। जीसीएफ में 155 एमएम 45 कैलीबर धनुष तोप के प्रोजेक्ट में तेजी लाने के उद्देश्य से आयुध निर्माणी बोर्ड ने शारंग तोप का प्रोजेक्ट वीएफजे में शिफ्ट किया है। अब सेना को वीएफजे से तोप डिस्पैच की जाएगी।
एक साल में सौ शारंग तोप बनाने का लक्ष्य
वीएफजे ने हर वर्ष करीब 100 शारंग तोप तैयार करने का लक्ष्य रखा है। ओएफबी ने सेना के पास मौजूद 130 एमएम एम-46 आर्टलरी तोप को अपग्रेड करने का टेंडर हासिल किया था। इसी आधार पर आयुध निर्माणी कानपुर, जीसीएफ व अन्य इकाइयों की सहायता से अपग्रेडेशन किया गया। वीएफजे में अतिरिक्त मशीनें जुटाई जा रही हैं। फैक्ट्री प्रशासन के अनुसार शारंग सेक्शन में जल्द ही 25 फीसदी स्टाफ बढ़ाया जाएगा। धीरे-धीरे अधोसंरचना का विकास भी किया जाएगा। वीएफजे के महाप्रबंधक अतुल गुप्ता ने बताया कि शारंग तोप प्रोजेक्ट वीएफजे को मिलने के बाद नियमित उत्पादन की तैयारियां तेज कर दी गई हैं। अभी पर्याप्त संसाधन हैं। सेना को समय पर तोप की डिलेवरी करने के प्रयास किए जाएंगे।



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