
नेहा सेन@जबलपुर। जीवन में कभी-कभी हार भी मायने रखती है। माना कि जीत हमेशा प्रेरित करती है, लेकिन हार भी जीवन की मुश्किलों में आगे बढऩे में मदद करती है। ऐसा ही कुछ शिवांगी सिंह के साथ भी हुआ। महज दो सालों में ही उन्होंने छोटे स्तर पर शुरू किए बेकरी बिजनेस को अब काफी बड़ा बनाया है। जबलपुर की शिवांगी की यह कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा भी है, जो होममेकर होने पर सोचती हैं कि घर के कामों में वक्त न मिल पाने के कारण वे कुछ नहीं कर सकती। इस धारणा को बदलती शिवांगी ने होममेकर से होमबेकर की राह चुनी।
केक डिलीवरी में आती थी दिक्कत: शिवांगी ने बताया कि जब केक बनाना शुरू किया तो डिलीवरी करने की दिक्कत सामने आई। उस वक्त बेटा सिर्फ तीन साल का था। इस बीच पति ने सहयोग दिया और वे दोनों बेटे को साथ लेकर केक डिलीवर करने जाने लगे। धीरे-धीरे केक के ऑर्डर बढ़े तो डिलीवरी बॉय भी रख लिया।
नहीं मानी हार, डटी रहीं
किसी भी काम की शुरुआत में कई मुश्किलें आती हैं, मुझे भी आईं, लेकिन मैं डटी रही। बेकिंग का शौक बचपन से रहा। वर्ष 2018 में एक केक मेकिंग कॉम्पीटिशन में खुद को आजमाना चाहा, लेकिन हार गई। उस कॉम्पीटिशन में ही शामिल एक महिला ने मेरा केक देखकर पहली बार ऑर्डर दिया। मुझे बर्थ डे पार्टी में भी बुलाया, जब मैं वहां गई, तो सभी ने केक की तारीफ की। उस पार्टी में ही मुझे एक-दो और ऑर्डर भी मिले। इस तरह मेरे काम की शुरुआत हुई।
मेरे घर में पुरुष अपना काम खुद करते हैं
शिवांगी ने बताया कि उनके परिवार में हर पुरुष अपना काम स्वयं करता है। जब लॉकडाउन हुआ तो मेड नहीं आती थी और केक का ऑर्डर भी समय से देना होता था। लेकिन परिवार के हर पुरुष का खुद काम करना उनके लिए सहूलियत बना। सभी ने अपने खाने की प्लेट खुद धोई, कभी-कभी खाना भी बनाते थे। अब वह अपने बेटे को भी घरेलू काम सिखा रही हैं।
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