
जबलपुर। हाईकोर्ट ने पूछा कि जबलपुर में दूध के दाम में मनमानी वृद्धि क्यों हो रही है? इसकी मॉनीटरिंग क्यों नहीं की जा रही? एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव व जस्टिस राजीव कुमार दुबे की डिवीजन बेंच ने इस सम्बंध में पूर्व में जारी नोटिस का जवाब पेश करने के लिए राज्य सरकार को चार सप्ताह की मोहलत दी।
हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब के लिए दी चार सप्ताह की मोहलत
जबलपुर में बढ़ रहे हैं दूध के दाम, फिर क्यों नहीं हो रही मॉनीटरिंग?
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने तर्क दिया कि नियमानुसार सरकार को दूध का रेट निर्धारित करना चाहिए। उसकी मॉनीटरिंग भी करनी चाहिए। लेकिन, ऐसा नहीं किया जा रहा है। 13 अप्रैल, 2007 को स्वयं राज्य शासन ने इस सम्बंध में व्यवस्था दी थी। इसके बावजूद अपने ही निर्णय को सरकार अमल में नही ला सकी।
तीन रुपए बढ़े रेट - अधिवक्ता उपाध्याय ने कोर्ट को बताया कि जबलपुर के दूध विक्रेताओं ने मनमाने तरीके से तीन रुपए वृद्धि कर दूध 55 से 56 रुपए लीटर बेचना शुरू कर दिया। इस दाम के बोर्ड लटका दिए गए हैं। बिना मॉनीटरिंग के जनता लुटने पर मजबूर है। मंडला, दमोह, नरसिंहपुर, अनूपपुर, बालाघाट, उमरिया, शहडोल, कटनी, सिवनी जिलों की तुलना में जबलपुर में दूध का दाम बहुत अधिक है। ऐसे में मॉनीटरिंग जरूरी है। मनमानी करने वाले दूध विक्रेताओं के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत ठोस कार्रवाई होनी चाहिए। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब देने को कहा। सरकार की ओर से इसके लिए मोहलत मांग ली गई।
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