
जबलपुर. नर्मदा किनारे तीन सौ मीटर के प्रतिबंधित दायरे में अवैध निर्माण के मसले पर मंगलवार को जबलपुर नगर निगम की ओर से हाइकोर्ट में जवाब पेश किया गया। निगम की ओर से बताया गया कि तिलवाराघाट में नर्मदा मिशन को गोशाला के लिए आवंटित जमीन मिशन के कब्जे से वापस ले ली गई है। गोशाला का संचालन अब नगर निगम खुद कर रही है। एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव व जस्टिस राजीव कुमार दुबे की डिवीजन बेंच ने नगर निगम के इस जवाब को रिकॉर्ड पर ले लिया। अगली सुनवाई 23 नवम्बर नियत की गई।
यह है मामला
नर्मदा मिशन जबलपुर के नीलेश रावल व समर्थ गोचिकित्सा केंद्र के शिव यादव की ओर से यह जनहित याचिका दायर कर जबलपुर के तिलवाराघाट में हो रहे अवैध निर्माण को हटाने का आग्रह किया गया। विगत सुनवाइयों में कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि प्रदेश स्तर पर नर्मदा किनारे हाईफ्लड लेवल के तीन सौ मीटर दायरे में हुए सभी निर्माण चिन्हित किए जाएं। जिला प्रशासन, ग्राम पंचायत व अन्य स्थानीय निकायों के अंतर्गत हुए इन अवैध निर्माणों को हटाए जाने के लिए गाइडलाइन बनाकर विधिवत सर्कुलर जारी किया जाए। कोर्ट ने कहा था कि इन अवैध निर्माणों को हटाने में किसी भी तरह का राजनीतकि हस्तक्षेप का प्रभाव नहीं होना चाहिए। इसी सिलसिले में तत्कालीन चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस शुक्ला ने 15 फरवरी 2020 को स्वयं तिलवारा घाट जाकर मौके का जायजा लिया था। मंगलवार को नगर निगम की ओर से अधिवक्ता अर्पण जे पवार ने जवाब प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि नर्मदा मिशन के कब्जे से गोशाला की जमीन वापस ले ली गई है। गोशाला के संचालन के लिए पशु चिकित्सा विज्ञान में डिप्लोमाधारी को रखा गया है। कोर्ट ने जवाब को रिकॉर्ड पर लेने के निर्देश जारी कर सुनवाई स्थगित कर दी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सौरभ तिवारी, सरकार की ओर से उपमहाधिवक्ता आशीष आनन्द बर्नार्ड व दयोदय ट्रस्ट का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन सिंह, विपुलवर्धन जैन ने रखा।
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