
जबलपुर। जिला पुलिस के पास पांच प्रशिक्षत डॉग हैं। तीन एक्सप्लोसिव तो दो ट्रैकर में प्रशिक्षित हैं। पर जब बात चोरी व हत्या जैसी वारदातों में ट्रैक करने की आती है, तो अमूमन नतीजा सिफर ही रहता है। ट्रेकर डॉग के पास 2019 में पाटन में हुई किसान की हत्या का खुलासा और इससे पूर्व त्रिपुर सुंदरी के पास हुई एक डकैती की वारदात का खुलासा करने का उल्लेखनीय उपलब्धि भर है। अधिकतर मामलों में डॉग सिर्फ भ्रमित होकर लौट आता है। जबकि इनके प्रशिक्षण, रख-रखाव और पांच पुलिस ट्रेनरों के वेतन आदि का हिसाब लगाएं तो लाखों रुपए हर महीने खर्च होते हैं।
माढ़ोताल के आगासौद गांव में पिता-पुत्री की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। मौके पर ट्रैकर डॉग पहुंचा। वारदात स्थल से पाटन रोड के मोड़ तक दौड़ लगाई। जबकि हत्यारोपी परिवार का बड़ा भाई निकला था, जो पूरे समय वारदात स्थल पर ही मौजूद रहा। शहर में हुई दर्जनों बड़ी चोरी की वारदात में डॉग को बुलाया जाता है, लेकिन एक भी वारदात का खुलासा नहीं हो पाया।
केस-एक
शहपुरा में 17 सितम्बर की रात मां-पिता के बीच से दो वर्षीय मासूम बच्ची का अपहरण हो गया। ट्रैकर डॉग पहुंचा, लेकिन बच्ची को तलाश नहीं पाया। अगले दिन उसकी लाश दो किमी दूर खेत में मिला।
केस-दो
बरगी के धादरा गांव में 18 सितम्बर की रात मां-पिता के बीच से चार महीने का रेयान बरकड़े गायब हो गया। ट्रैकर डॉग कमांडो पहुंचा। घर से पहाड़ी की ओर कई बार निकला, लेकिन कुछ तलाश नहीं पाया।
केस-तीन
तिलवारा के राधास्वामी सत्संग के आगे फार्म हाउस से सटे नाले में 26 सितम्बर की सुबह सात बजे स्थानीय निवासी पप्पू महोबिया का पालतू कुत्ता ढूंढ़ निकाला। तीन दिन से वहां शव पड़ा था, लेकिन भनक नहीं लगी।
न्यूज फैक्ट-
एक्सप्लोसिव डॉग-
मिनी-फीमेल-2016
शाका-मेल-2016
रॉक्सी-फीमेल-2016
विशेषता-तीनों एक्सप्लोसिव ढूढऩे में प्रशिक्षित
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ट्रेकर डॉग-
कमांडो-मेल-2014
गंगा-फीमेल-2018
विशेषता-चोरी व हत्या के प्रकरणों में ढूढऩे में प्रशिक्षित

खान-पान और नियमित प्रशिक्षण के साथ मिला है एसी वाहन-
पुलिस लाइन में मौजूद पांचों डॉग में तीन एक्सप्लोसिव और दो ट्रैकर में प्रशिक्षित हैं। इसमें तीन फीमेल और दो मेल डॉग हैं। हर एक डॉग पर महीने में 12 से 14 हजार रुपए खान-पान पर खर्च होता है। रोज सुबह एक लीटर दूध व 500 ग्राम ऑटे की रोटी एक डॉग की डाइट है। इसके अलावा रात में 400 ग्राम उबला मटन हल्दी व नमक मिश्रण वाला दिया जाता है। ठंड में इनकी डाइट में दो अंडे शामिल हो जाते हैं। आने-जाने के लिए एसी वाहन है। वहीं आराम के लिए तख्त पर लगा बिस्तर है। कमरे में कूलर लगा है। रोज सुबह 6.30 बजे तीन से पांच किमी की मार्निंग वॉक व प्रशिक्षण दिया जाता है। वहीं नियमित रूप से एक्सप्लोसिव जांच के लिए हाईकोर्ट ड्यूटी लगती है। कई बार वीआईपी ड्यूटी में प्रदेश के दूसरे हिस्सों से लेकर कुम्भ आदि बड़े आयोजनो में दूसरे प्रांतों में भी ड्यूटी लगती है।
चोरी-हत्या मामले का खुलासा न होने की ये वजह-
-वारदात स्थल को सुरक्षित नहीं किया जाता।
-हत्या या चोरी होने पर सबसे पहले परिवार के लोग और बाद में पुलिस सेफ एरिया को प्रभावित कर चुकी होती है।
-डॉग को आखिरी में बुलाया जाता है, इससे वह ट्रैक नहीं कर पाता।
-डॉग जिले के किसी भी कोने में सूचना के एक घंटे में पहुंच सकता है।
-किसी भी वारदात स्थल को पहले रस्सी या अन्य माध्यम से सुरक्षित कर दें।
-वहां डॉग से पहले कोई भी प्रवेश न करें।
-पाटन में किसान की हत्या खेत में बने मकान में हुई थी। वारदात स्थल सुरक्षित होने के चलते डॉग सीधे आरोपी के घर तक पहुंचा था।
-शहपुरा व बरगी मामले में भी वारदात स्थल सुरक्षित न होने की वजह से डॉग भ्रमित हुआ।
(जैसा की मास्टर ट्रेनर चंदूलाल सुमन और कमलेश ने बताया)
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