
जबलपुर। मां जगत जननी दुर्गा देवी का आगमन 17 अक्टूबर को हो रहा है। इस बार माता पूरे दस दिनों के लिए भक्तों के घर आ रही हैं। उन्हें मनाने और प्रसन्न करने के लिए भक्त विविध प्रकार से पूजन अर्चन करेंगे। वहीं सार्वजनिक दुर्गा पंडालों में माता के आगमन की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।
ज्योतिषाचार्य पं. सचिनदेव महाराज के अनुसार सनातन परंपरा में अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को शारदीय नवरात्रि शुरू होती है। इस बार नवरात्रि 17 अक्टूबर से शुरू होंगी, जो कि 25 अक्टूबर को दुर्गा विसर्जन से समाप्त होगी। नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा का पूजन विवि सम्मत करने से माता प्रसन्न होती हैं। नवरात्रि के नौ दिन इतने शुभ होते हैं कि इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने के लिए मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं पड़ती। इसलिए अधिकतर लोग वाहन, मकान, दुकान आदि इन्हीं दिनों में खरीदते हैं।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 17 अक्टूबर को दुर्गा पूजा का आरंभ घट स्थापना से शुरू होगा। घट स्थापना मुहूर्त का समय शनिवार, अक्टूबर 17, 2020 को प्रात:काल 06:27 से 10:13 तक है। घटस्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त प्रात:काल 11:44 से 12:29 तक रहेगा।
ऐसे करें कलश स्थापना
नवरात्र पर घर में कलश स्थापना करने के लिए उक्त स्थान को पहले गाय के गोबर आदि से पवित्र कर लें। एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। अब एक कलश पर स्वस्तिक बनाएं। इसके बाद कलश पर कलावा बांधे और उसमें जल भरकर रखें। कलश में सुपारी, फूल, इत्र, पंचरत्न, अक्षत और पैसा आदि डालें।
नवरात्रि की अखंड ज्योत
पंडित जनार्दन शुक्ला के अनुसार जिन घरों में नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योत जलाई जाती है, उनमें मां की विशेष कृपा होती है लेकिन इसके लिए नियमों का पूरा पालन करना होता है।अखंड दीप जलाने वाले व्यक्ति को जमीन पर ही सोना चाहिए। ज्योत को बुझने नहीं देना चाहिए। इस दौरान घर में सफाई रखनी चाहिए।
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