
जबलपुर. जैसे-जैसे शारदीय नवरात्र की तिथि नजदीक आ रही है, जिले में दुर्गा पूजा की तैयारी भी तेज हो गई है। देवी प्रतिमाओं के निर्माण की गति भी तेज हो गई है। कई मूर्तिकारों के यहां तो अब रंग-रोगन भी शुरू हो गया है। पंडाल आदि के निर्माण की प्रक्रिया में भी तेजी दिखाई देने लगी है। वहीं सरकारी मशीनरी भी अपनी तैयारी को गति देने में जुट गई है।
दुर्गा पूजा को लेकर प्रशासन की भूमिका भी अब पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है। खास तौर पर जब से कोर्ट के निर्देश पर नदियों में प्रतिमा विसर्जन पर रोक लगाई गई है, उसके बाद से अब देवी प्रतिमाओं का विसर्जन कुंडों में कराया जाने लगा है। ऐसे में वो कुंड जहां प्रतिमाओं का विसर्जन होता है, उन्हें दुरुस्त करने का दायित्व प्रशासन पर होता है।

ऐसे में जैसे ही शासन स्तर से दुर्गा पूजा मनाने की इजाजत दी गई, तभी से देवी भक्तों के बीच उत्साह है। लेकिन अभी तक प्रशासनिक तैयारी धीमी रही। बता दें कि जबलपुर में प्रतिमा विसर्जन ग्वारीघाट भटौली विसर्जन कुंड में हता है। ऐसे में गत 9 अगस्त को ही स्वामी गिरीशानंद ने कुंड का मुआयना करने के बाद प्रशासन को कुंड की बदहाली की जानकारी देते हुए जल्द से जल्द इसे दुरुस्त करने को कहा था। तब तत्कालीन कलेक्टर भरत यादव ने तुरंत ही कुंड के जीर्णोद्धार की जिम्मेदारी नगर निगम को सौंपी दी थी। लेकिन नगर निगम का काम काफी ढीला रहा।

लेकिन अब ग्वारीघाट भटौली विसर्जन कुंड के जीर्णोद्धार का काम तेज हो गया है। कुंड में पत्थर लगाए जा रहे हैं साथ ही प्रतिमाओं को कुंड तक लाने के लिए नए सिरे से रैम्प बनाए जा रहे हैं। कुंड के एक छोर से मां नर्मदा का जल कुंड में आता है उसे रोकने के इंतजाम भी किए जा रहे हैं। साथ ही प्रतिमाओं के विसर्जन के बाद कुंड का पानी रिसकर मां नर्मदा में न जाए इसके भी पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। नगर निगम की पूरी कोशिश है कि किसी भी सूरत में बड़ी प्रतिमाओं को कुंड के जल तक ले जाने में किसी तरह की दिक्कत न हो।
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