
जबलपुर। मप्र हाइकोर्ट ने मप्र मोटर वीकल कराधान अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार के परिवहन विभाग प्रमुख सचिव व परिवहन आयुक्त को नोटिस जारी किए। चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस सुजय पॉल की डिवीजन बेंच ने पूछा कि सवारियों की बजाय सीट क्षमता के आधार पर वाहनों से टैक्स क्यों वसूला जा रहा है। कोर्ट ने 6 अक्टूबर तक जवाब मांगा।
हाईकोर्ट का सरकार को नोटिस -सवारियों के बजाय सीट क्षमता पर क्यों वसूला जा रहा टैक्स?
जबलपुर के बस ऑपरेटर वीरेंद्र कुमार साहू व अन्य की ओर से याचिका दायर की गई। अधिवक्ता आशीष त्रिवेदी ने तर्क दिया कि संविधान की 7वीं अनुसूची के अनुसार वाहन में बैठी सवारियों के आधार पर टैक्स वसूला जा सकता है। लेकिन मप्र मोटर वीकल कराधान अधिनियम के प्रावधानों के तहत स्टेज कैरेज परमिट के वाहनों (बसों, अन्य सवारी वाहनों) से उनकी सवारियां बिठाने की क्षमता के आधार पर टैक्स लगाया जा रहा है। यह संविधान का उल्लंघन है। अधिनियम के प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित किया जाए।
इधर, मानवाधिकार आयोग करे कार्रवाई
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग के समक्ष एक याचिका दायर की है। याचिका के जरिए गरीबों को दिए जाने वाले राशन में खराब चावल बांटे जाने के रवैये पर कार्रवाई की मांग की गई। जनस्वास्थ्य से खिलवाड़ को गंभीरता से लेते हुए मुआजवा दिलाने का भी अनुरोध किया गया। मंच के अध्यक्ष डॉ.पीजी नाजपांडे ने बताया कि जुलाई व अगस्त में खराब चावल बांटे गए।
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