
जबलपुर। कई इलाकों में वर्षों पुराने जर्जर भवन गिरने की कगार पर हैं। बारिश में कुछ मकान गिरने से बड़े हादसे भी हो चुके हैं। इसके बाद भी जबलपुर नगर निगम के जिम्मेदारों का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है। फूटाताल के साठियाकुआं में जर्जर मकान ढहने से दो लोगों की मौत के बाद निगम का अमला दो-चार दिन सक्रिय दिखा। एक-दो भवन तोड़े भी गए, लेकिन किसी भी बड़े जर्जर भवन की ओर ध्यान नहीं गया। शहर के ज्यादातर पुराने रिहायशी इलाकों में जर्जर भवन हैं। कुछ मकान तो बिल्कुल गिरने की कगार पर हैं। अंधेरदेव, तमरहाई, गुड़हाई, बलदेवबाग, दीक्षितपुरा इलाकों में सबसे ज्यादा जर्जर भवन हैं। जर्जर भवन में कई जगह खानापूर्ति के लिए खाली करने का नोटिस देकर मामले की इतिश्री कर ली गई। निगम के जिम्मेदारों का कहना है कि कई मकानों के मामले में विवादित हैं। इसलिए उन्हें तोडऩे की कार्रवाई नहीं की जा रही। जबकि, आस-पास के लोगों का कहना है कि खतरे को देखते हुए कई बार निगम में सूचना दी गई। लेकिन, मकान मालिकों के दबाव में वहां से मौके पर कोई झांकने तक नहीं आता। कुछ मकान मालिक भी खुलकर तो सामने नहीं आ रहे, लेकिन उनका कहना है कि निगम का अमला चाहे जर्जर मकान तोड़ दे। इसके बाद भी सिर्फ बहानेबाजी की जा रही है।
पानी निकासी के भी यही हाल
दो-चार दिन जब भी अच्छी बारिश हुई, तब शहर के हिस्सो में जलप्लावन के हालात बन गए। इसके बाद भी जलभराव वाले इलाकों का ड्रेनेज दुरुस्त करने के लिए नगर निगम की ओर से ठोस प्रयास नहीं हो रहे हैं। शिव नगर, सुदामा नगर में लगभग पांच सौ घरों में चार-पांच फीट तक पानी भर गया था। उस दौरान तिलहरी के कई घरों में जलभराव होने पर कई परिवारों के वाहन और टीवी, फ्रिज व अन्य इलेक्ट्रिक उपकरण खराब हो गए। टेक बहादुर, एकता विनोदिया, सिमरन स्वामी, हेमा सिंह, रीतेश कुशवाहा, कं चन गंघरिया, शीला गुरुंग व अन्य लोगों को इससे बड़ा नुकसान हुआ है। सम्भागायुक्त व प्रशासक नगर निगम महेशचंद्र चौधरी ने बताया कि ब्खतरनाक जर्जर भवनों को तोडऩे के लिए नगर निगम के अधिकारियों को निर्देशित करेंगे। जिन इलाकों में सबसे ज्यादा जलभराव होता है, उन क्षेत्रों मेंं वर्षा जल निकासी की स्थायी व्यवस्था करने की व्यसस्था की जाएगी।
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