
जबलपुर। शहर के नयागांव में तेंदुओं के कुनबे की मौजूदगी के मामले पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष वन विभाग ने जवाब दिया कि अभी तक तेंदुए ने वहां किसी भी व्यक्तिपर हमला नहीं किया। कुत्ते आदि छोटे जानवर उसका प्राकृतिक आहार व शिकार हैं। यह इलाका वन क्षेत्र से लगा है, इसलिए लोगों को तेंदुए के साथ सामंजस्य (एडजस्ट) करना चाहिए। इस जवाब को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आदित्य संघी ने हास्यास्पद बताया। चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस वीके शुक्ला की डिवीजन बेंच ने जवाब को रिकॉर्ड पर लेकर इसकी प्रति याचिकाकर्ता के वकील को देने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई एक अक्टूबर तय की गई।
यह है मामला
नयागांव हाउसिंग सोसायटी के अध्यक्ष रजत भार्गव की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने तर्क दिया कि नयागांव में तेंदुए की दहशत बरकरार है। वन विभाग अभी तेंदुए की तलाश ही कर रहा है। लेकिन, स्थानीय लोगों को लगभग रोज कहीं न कहीं किसी न किसी लोकेशन पर तेंदुआ दिखाई दे रहा है। पिछले दिनों नयागांव के एक मकान के परिसर में तेंदुआ घुस आया। लोगों की शिकायत के बाद सोसायटी के अध्यक्ष रजत भार्गव ने 19 दिसम्बर को खुद टेलीस्कोप और कैमरे की मदद से तेंदुए की तस्वीर लेकर वन विभाग को सौंपी थी। उसके बाद कान्हा नेशनल पार्क से स्पेशलिस्ट की टीम दो बार आकर पहाड़ी का मुआयना कर चुकी है। नयागांव के आसपास चार पिंजरे भी लगा दिए गए। लेकिन, खाली पिंजरों में न तो तेंदुआ फंसा और न वन विभाग की टीमों को यह तेंदुआ नजर आया।
तेंदुए के लगातार मूवमेंट से इलाके के लोग घर से निकलने में डरने लगे हैं। दलील दी गई कि वन विभाग की ओर से तेंदुआ से सुरक्षा के लिए रहवासी क्षेत्र और वन्य क्षेत्र के बीच फेंसिंग कराई जा सकती है। सडक़ों पर सर्चलाइट लगाई जा सकती हैं। कोर्ट ने सरकार को इन सुझावों पर गौर करने को कहा था।
वन विभाग का अटपटा बयान
मंगलवार को राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने वन विभाग का जवाब कोर्ट में पेश किया। वन विभाग की ओर से ट्रैप कैमरे लगाने की बात कही गई। यह भी कहा गया कि मदन महल पहाड़ी से नयागांव इलाका लगा हुआ है। यहां हमेशा से तेंदुओं की बसाहट व आवाजाही रही है। यहां बसे लोगों को इनसे एडजस्ट करना चाहिए।
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