रेलवे की ये नई रणनीति, निजी क्षेत्र को लाभ पहुंचाने के लिए तो नहीं!

जबलपुर. एक तरफ हर क्षेत्र में केंद्र सरकार के निगमीकरण, निजीकरण नीति का विरोध चल रहा है। वहीं रेलवे ने निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए गुपचुप तरीके से एक नई रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। इस नई रणनीति को अमली जामा पहनाने की कवायद शुरू भी हो गई है। इसके लिए रेलमंडलों से कुछ ऐसी जानकारियां तलब की गई हैं जो यात्रियों के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण हैं।

बताया जा रहा है रेलवे बोर्ड ने रेल मंडल प्रमुखों से एक सूचना मांगी है जिसके तहत ऐसी ट्रेनों के स्टॉपेज की जानकारी मांगी गई है जो छोटे स्टेशनों पर मध्य रात्रि से भोर तक के समय में रुकती हैं। यानी रात 12 से सुबह 4 बजे के बीच। रेलवे ऐसे स्टॉपेज बंद करने की तैयारी में है।

बताया ये भी जा रहा है कि रेलवे की इस सोच के पीछे निजी क्षेत्र की ट्रेनों के लिए लाइन क्लीयर करना है। बता दें कि रेलवे इस समय प्राइवेट ट्रेनों को ज्यादा ही प्राथमिकता दे रहा है। यह रेलवे के निगमीकरण व निजीकरण की योजना के तहत है। अब इन निजी ट्रेनों के लिए लाइन क्लीयर चाहिए वो भी खास तौर पर रात के वक्त। तभी तो ये समय से पहुंच पाएंगी अपने गंतव्य तक। अब इसकी सुनगुनी रेलवे यूनियन के लोगों तक पहुंची तो रेलवे ने अपनी ओर से ये भी तर्क दिया कि रेलवे नियमित ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने पर जोर दिया रहा है, ताकि और अधिक ट्रेनें चलाई जा सकें। इसे देखते हुए वह रात को आने वाले स्टॉपेज खत्म करने पर मंथन कर रहा है। इसलिए वह सभी मंडल से इसकी समीक्षा करवा रहा है।

लेकिन इसमें एक दिक्कत ये है कि ज्यादातर ऐसे छोटे स्टेशन हैं जहां पर रात में रुकने वाली ट्रेनों के लिए जनप्रतिनिधियों ने रिकमेंड किया है या वो ऐसे स्टेशन हैं जहां से वाणिज्यिक गतिविधियां ज्यादा हैं। ऐसे में इन स्टेशनों पर ठहराव खत्म करने का विरोध भी संभव है।

जबलपुर रेल मंडल की बात की जाए तो इसकी सीमा में ऐसे तकरीबन 105 स्टेशन आते हैं, जिसमें मुख्य तौर पर 25 से ज्यादा स्टेशनों पर मेल से लेकर सुपरफास्ट और एक्सप्रेस ट्रेनें रुकती हैं। इनमें से 8 से 10 ऐसे स्टेशन हैं, जहां रात के वक्त ही लंबी और महत्वपूर्ण ट्रेनें रुकती हैं। इन स्टेशनों पर यदि ट्रेनों का स्टॉपेज खत्म कर दिया जाए तो यात्रियो को ट्रेन पकड़ने के लिए 5 से 6 घंटे का सफर पूरा कर महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों तक आना होगा। कमर्शियल विभाग ने जब यहां से बैठने वाली यात्रियों की संख्या और आय का आंकड़ा एकत्रित किया तो उम्मीद से बेहतर निकला।

कोट

"रेलवे ने रात के वक्त रेलवे स्टेशनों पर रुकने वाली ट्रेनों की समीक्षा करने कहा था। मंडल में जितने भी स्टॉपेज दिए गए हैं, सभी महत्वपूर्ण हैं। इसकी जानकारी रेलवे बोर्ड को भेज दी गई है।" - मनोज गुप्ता, सीनियर डीसीएम, जबलपुर रेल मंडल



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