
जबलपुर। कोरोना के तेजी से फैलाव के बीच अब डॉक्टर सहित अन्य मेडिकल स्टाफ भी कोरोना की चपेट में आ रहा है। सरकारी महकमे में डॉक्टर और अन्य स्टाफ की कमी पहले ही बनी हुई है। लगातार संक्रमित मिलने से अस्पतालों की लैब, ओपीडी, वार्ड से लेकर सफाई और सुरक्षा विभाग तक में कहीं-कहीं कुछ कर्मी संक्रमित मिले हैं। एक अनुमान के मुताबिक शहर में सरकारी और निजी क्षेत्र को मिलाकर अभी तक ढाई सौ से ज्यादा मेडिकल स्टाफ संक्रमित हो चुका है। दो डॉक्टर संक्रमण के शिकार हुए हैं। मेडिकल कॉलेज अस्पताल और विक्टोरिया अस्पताल को मिलाकर डेढ़ सौ से ज्यादा स्टाफ की रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव आ चुकी है। प्रशासन का बढ़ते कोरोना मरीज के बीच उन्हें अस्पताल में भर्ती के लिए बिस्तर बढ़ाने पर फोकस है। इसमें भी आइसीयू और एचडीयू बेड बढ़ाए जा रहे हैं। जानकारों का मानना है कि तीन विधाओं के विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या बढ़ाए बिना ऑक्सीजन और आइसीयू बेड में आगे चलकर कोरोना मरीजों की देखभाल में परेशानी आ सकती है।

आइसीयू, एचडीयू बेड कई गुना बढें, स्टाफ नहीं
कोरोना मरीज बढऩे पर उन्हें उपचार सुनिश्चित करने के लिए कुछ समय में मेडिकल कॉलेज में आइसीयू और एचडीयू बेड तेजी से बढ़ाए गए हैं। चार महीने पहले मेडिकल अस्पताल के 16 पेइंग वार्ड और सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में 64 बिस्तरों का आइसीयू था। अब आइसीयू बेड बढकऱ 150 से ज्यादा हो चुके है। पलमोनरी मेडिसिन में 62 और स्पाइन इंज्यूरी में 72 ऑक्सीजन बेड लगाए हैं। आइसीयू और ऑक्सीजन बेड पर कोरोना मरीजों की देखभाल के लिए पलमोनरी मेडिसिन, एनीस्थिसिया और मेडिसिन विशेषज्ञ चिकित्सक होते है। इन विशेषज्ञ की संख्या अभी 36 के करीब है। बिस्तर कई गुना बढऩे के बावजूद मरीज की निगरानी के लिए डॉक्टर और सपोर्टिंग स्टाफ की संख्या पुरानी ही बनी हुई है। इसके अलावा स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में 100 ऑक्सीजन बेड का विस्तार किया जा रहा है। 35 नए वेंटीलेटर्स भी इंस्टॉलेशन में हैं।
प्रतिदिन मिल रहे नए केस
पिछले माह के आखिरी सप्ताह से संक्रमण की रफ्तार बढऩे के साथ ही कोरोना ने डॉक्टर और हेल्थ स्टाफ को घेरा है। कुछ दिनों से प्रतिदिन जांच में दो से तीन हेल्थ एवं मेडिकल स्टाफ कोविड-19 पॉजिटिव मिल रहा है। सरकारी और प्राइवेट प्रेक्टिस करने वाले मिलाकर 70 से ज्यादा डॉक्टर संक्रमित हो चुके हैं। एक डॉक्टर, क्लीनिक या ओपीडी कर्मी के पॉजिटिव आने पर 10 से 20 तक संबंधित ओपीडी या क्लीनिक बंद रह रही है। संक्रमित डॉक्टर के सम्पर्क में आए दूसरे डॉक्टर्स के एहतियातन क्वारंटीन होने से कई निजी क्लीनिक और निजी अस्पतालों की ओपीडी भी बंद हो रही है। इससे नॉन कोविड मरीजों को भी उपचार के लिए परेशानी उठानी पड़ रहा है। क्लीनिक और निजी अस्पताल में उपचार नहीं मिलने से मेडिकल कॉलेज में नॉन कोविड उपचार का भार भी बढ़ रहा है।

जिले में 40 प्रतिशत से ज्यादा पद खाली
विक्टोरिया अस्पताल में कोविड और नॉन कोविड, दोनों वार्ड है। फीवर क्लीनिक्स की निगरानी का भी काम है। जिले में स्वास्थ्य विभाग में प्रथम श्रेणी चिकित्सकों के 90 पदों में 60 से ज्यादा पद खाली हैं। चिकित्सा अधिकारी के 97 पदों के विरुद्ध करीब 55 चिकित्सक ही कार्यरत हैं। कोरोना संदिग्धों की जांच और सामान्य लक्षण वाले संक्रमितों का उपचार सुनिश्चित करने के लिए मोहल्लों में फीवर क्लीनिक को मजबूत बनाने की कवायद की गई है। लेकिन डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहे विभाग ने फिलहाल यहां फील्ड में सेम्पलिंग करने वाले डेंटल डॉक्टर्स को जरुरत के अनुसार पदस्थापना की है।
इसके बावजूद कोविड
व्यवस्था सम्भालने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर्स की कमी बनी हुई है। कोरोना की चपेट में कुछ प्रमुख चिकित्सा अधिकारी सहित लैब, ब्लड बैंक के टेक्रीशियन तक के पॉजिटिव मिलने और उनके आइसोलेट होने से मौजूद स्टाफ मरीजों की देखभाल के लिए कम पडऩे लगा है।
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