
जबलपुर। समय सीमा में निपटाए जाने वाले सभी प्रकरण अब ऑनलाइन होंगे। जिले में इसकी शुरुआत हो गई है। एनआइसी की ओर से पुराने व नए पत्रों को साफ्टवेयर पर अपलोड किया जा रहा है। अब संबंधित अधिकारी या प्रभारी अधिकारी के पास पत्र ऑनलाइन पहुंचेंगे। जैसे ही पत्र ऑनलाइन होगा उसी समय अधिकारी के मोबाइल पर एसएमएस पहुंचेगा। इसमें लिखा होगा कि आपकी आईडी पर एक प्रकरण भेजा गया है, उसका समय सीमा (टाइम लिमिट) में निपटारा करना होगा।
ऑनलाइन होंगे समय सीमा के प्रकरण
एसएमएस से पहुंचेगी समस्या, निराकरण में नहीं चलेगा बहाना
अभी कलेक्टर कार्यालय में कलेक्टर के नाम जो पत्र आते हैं, उनमें से उन पत्रों को टाइम लिमिट (टीएल) के लिए मार्क किया जाता है जिन्हें एक निश्चित अवधि में निराकृत करना होता है। आवक-जावक शाखा में आने के उपरांत यह कलेक्टर और कार्यालय अधीक्षक के पास पहुंचते हैं। इनकी नोटशीट बनती है। फिर संबंधित विभाग एवं अधिकारी को मार्क कर इन्हें भेज दिया जाता है। लेकिन यह सारा काम ऑफलाइन होता है। इसमें समय की खपत होती है।

घर बैठे देख सकेंगे प्रगति
ऑनलाइन होने से अब जिस भी विभाग या अधिकारी के पास समस्या पहुंची है, वे उसे ऑनलाइन देख पाएंगे। डेस्कटॉप, लैपटॉप यहां तक कि मोबाइल फोन पर भी अपनी आईडी से वे इसे खोल पाएंगे। कलेक्टर भी इसकी ऑनलाइन मॉनिटरिंग कर सकेंगे कि किस विभाग ने इस पर कितना काम किया। यानी अधिकारी अब आनाकानी नहीं कर सकेंगे कि उन तक मामला नहीं पहुंचा। उन्हें ऑनलाइन जवाब भी सबमिट करना होगा।
कलेक्टर ने दिए थे निर्देश
जिले में टीएल संबंधी कार्रवाई ऑफलाइन थी। पिछली समय सीमा (टीएल) बैठक में कलेक्टर भरत यादव ने ने एनआइसी को इसे ऑनलाइन करने के निर्देश दिए थे। अभी प्रदेश के कई जिलों में ऑनलाइन साफ्टवेयर से इनका निपटारा होता है। अभी मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख विभाग और जनप्रतिनिधियों के पत्र आते हैं। इसी प्रकार कुछ प्रमुख शिकायतों को भी इसमें शामिल किया जाता है।
समय सीमा के प्रकरण अब ऑनलाइन किए जा रहे हैं। अभी तक सारे पत्र ऑफलाइन सॉफ्टवेयर में अपलोड होते थे। सभी पत्र ऑनलाइन किए जा रहे हैं। पुराने एवं नए पत्रों को अपलोड किया जा रहा है।
- आशीष शुक्ला, जिला सूचना विज्ञान अधिकारी
यह है स्थिति
- रोजाना 50 से 100 पत्र शामिल किए जाते हैं टीएल में।
- इनका ऑफलाइन होता था पंजीकरण, कई हाथों तक पहुंचती है फाइल।
- अब एक जगह दर्ज होगी जानकारी, फिर सभी जगह ऑनलाइन दिखेगी।
- एनआइसी ने 150 प्रभारी बनाए। उनकी आईडी पासवर्ड भी तैयार।
- 60 से 70 प्रमुख विभागों के प्रमुखों की भ्ीा बनाई गई आईडी।
- ओएस कार्यालय से अपलोड होते ही संबंधित अधिकारी के पास सूचना।
- एनआइसी की ओर से अधिकारीद एवं प्रभारियों को काम की दी जाएगी टे्रनिंग।
- अलग-अलग विभागों के 1050 पुराने प्रकरण भी किए जा रहे हैं ऑनलाइन।
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