यह अनदेखी ठीक नहीं...अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में हिन्दी के शिक्षक कैसे पढ़ाएंगे?

जबलपुर। स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई कराने की कवायद में जबलपुर में स्कूल शिक्षा विभाग ने व्यवस्थाएं गम्भीरता से नहीं की हैं। तभी तो हालता ऐसे हैं कि ऐसे स्कूलों में शिक्षक हिन्दी माध्यम के ही हैं। कोरोना संकट के चलते फिलहाल स्कूल बंद हैं, लेकिन जब स्कूल खुलेंगे तो उक्त स्कूलों में पढ़ाई मंशा अनुरूप नहीं हो सकेगी। शहर में एक प्राइमरी और एक मिडल स्कूल में अंग्रेजी माध्यम में संचालन की व्यवस्था है। प्राइमरी स्कूल बेलबाग में है, वहीं मिडिल स्कूल मॉडल स्कूल परिसर में है। जबकि कुंडम, शहपुरा, सिहोरा, मझौली और पनागर में ऐसे एक-एक प्राइमरी स्कूल हैं। आस-पास के परिजन का कहना है कि इस तरह की व्यवस्था में भला गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई कैसे हो पाएगी? हालांकि, अभी तक जिम्मेदारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है। उनका कहना है कि आने वाले समय में व्यवस्थाएं कर ली जाएंगी।

सैकड़ों स्टूडेंट
इन स्कूलों में करीब 700 छात्र कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 में अध्ययनरत हैं। मॉडल स्कूल में कक्षा 6वीं से लेकर 8वीं तक का संचालन होता है। जबकि बाकी जगहों पर कक्षा 1 से कक्षा 5 तक पढ़ाई कराई जा रही है। एपीसी डीके श्रीवास्तव ने कहा कि स्कूलों में सभी कक्षाओं में किताबें उपलब्ध करा दी गई हैं। जिला परियोजना समन्वयक योगेश शर्मा का कहना है कि निजी स्कूलों की तरफ अभिभावकों के बढ़ते रुझान के चलते इन स्कूलों को शुरू किया गया। स्कूलों में अंग्रेजी शिक्षकों की कमी एवं कुछ जरूरतें हैं, जो पूरी नहीं हो सकी हंै। शासन को इस दिशा में अवगत कराया जाएगा।



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