कोरोना फैलाने पर नगर निगम अपर आयुक्त अयाची की बढ़ सकती है मुसीबत, हो सकते हैं न्यायिक जांच के आदेश

जबलपुर/ मप्र हाईकोर्ट ने जबलपुर नगर निगम के अपर आयुक्त राकेश अयाची को नोटिस जारी पूछा कि क्यों न गुलजार होटल में विवाह समारोह के कारण कोरोना संक्रमण फैलने के मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए जाएं? चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस जेपी गुप्ता की डिवीजन बेंच ने अगली सुनवाई तक जवाब मांगा। अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी।

हाइकोर्ट ने नगर निगम अपर आयुक्त अयाची को नोटिस जारी कर पूछा
क्यों न दिए जाएं कोरोना फैलाने के मामले की न्यायिक जांच के आदेश

भारतीय फंडामेंटल राइट्स एक्टिविस्ट्स एसोसिएशन के प्रदेश समन्वयक, जबलपुर निवासी अखिलेश त्रिपाठी की ओर से अधिवक्ता पंकज दुबे व रोहित शर्मा ने तर्क दिया कि जबलपुर नगर निगम के अपर आयुक्त राकेश अयाची ने कोरोना संक्रमण के बीच 30 जून 2020 को जबलपुर के गुलजार होटल में वैवाहिक कार्यक्रम आयोजित कर 400 मेहमानों को आमंत्रित किया। इनमें वीआइपी और जिम्मेदार अधिकारी भी थे। अयाची के ऊपर ही नगर निगम क्षेत्र, जबलपुर संभाग और जबलपुर जिले में वैवाहिक कार्यक्रम करवाने के लिए अनुमति पर विचार करने का दायित्व था। जिस होटल गुलजार में यह कार्यक्रम हुआ, उसके स्टाफ के 9 व्यक्ति कोविड 19 संक्रमित पाए गए। 30 जून के बाद से विवाह समारोह से जुड़े व्यक्ति हर दिन कोराना संक्रमित पाए गए। जाहिर सी बात है कि उसी कार्यक्रम की वजह से कोरोना चेन निर्मित होती गई।

 

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एनएसए के तहत कार्रवाई हो- तर्क दिया गया कि पूर्व में इस मामले में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव को एक शिकायत भेजी गई थी। इसमें मांग की गई कि निजामुद्दीन, नई दिल्ली में कोरोना फैलाने वालों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) व एपिडेमिक डिजीज एक्ट के तहत कार्रवाई की गई। तो फिर नगर निगम, जबलपुर के अपर आयुक्त राकेश अयाची के खिलाफ क्यों नहीं की गई। कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच जबलपुर के गुलजार होटल में वैवाहिक कार्यक्रम आयोजित कर 400 मेहमानों को आमंत्रित करने वाले अयाची के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

स्वास्थ्य मौलिक अधिकार - तर्क दिया गया कि लोक स्वास्थ्य मौलिक अधिकारों के दायरे में आता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण न्यायदृष्टांत में इस संबंध में उल्लेख किया है। सुनवाई के दौरान याचिका में गुलजार होटल के संचालक संजय भाटिया को पक्षकार न बनाने पर हाईकोर्ट ने सवाल किया। इसके बाद याचिकाकर्ता की ओर कहा गया कि अलग से आवेदन प्रस्तुत कर संशोधन के जरिए गुलजार होटल को भी पक्षकार बनाया जाएगा।



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