
जबलपुर। अनलॉक में कई चुनौतियां से लोग जूझ रहे हैं। नौकरियां छिन रही हैं तो पठन-पाठन सिर्फ सुविधा सम्पन्न बच्चों तक सीमित रह गया है। कोरोना संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में संक्रमित से बात कर कान्टैक्ट हिस्ट्री तैयार करने की चुनौती स्वीकार करना हो या फिर लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाने के लिए जागरुक करते हुए कानूनी पाठ पढ़ाना हो। अलग-अलग क्षेत्रों में अपने कामों से अलग पहचान बनाने वाले ऐसे ही अनलॉक के हीरो के कामों को बयां करती पेश है ये स्टोरी...।

इस शिक्षक के जुनून ने खोल दिया मोहल्ला क्लास
कॉन्वेंट और अंग्रेजी माध्यम में पढऩे वाले बच्चों के लिए तो एप और ऑनलाइन शिक्षा के विकल्प हैं, लेकिन सुदूर ग्रामीणांचल में ग्रामीण पृष्ठिभूमि के बच्चों के लिए ये सपना था। धरमपुरा में पदस्थ शिक्षक दिनेश के जुनून ने मोहल्ला क्लास शुरू किया। संकल्प कि इन बच्चों की शिक्षा की कड़ी टूटने नहीं देना है। ग्रामीणों से चर्चा की। समझाया कि हर अभिभावक के पास एंड्रायड फोन नहीं है, ऐसे में जिसके पास है, वे वे एक निर्धारित समय के लिए अपना मोबाइल पड़ोस के बच्चों को उपलब्ध कराएं। अब वे रोजाना उन्हें शैक्षणिक सामग्री की लिंक मोबाइल पर भेजते हैं। डिजिलेप से शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्वयं के प्रयासों से गांव में 10 एफएम उपलब्ध कराए। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मोहल्ले के 8-10 बच्चों की क्लास लगाकर मोहल्ला क्लासेस का कॉन्सेप्ट दिया। वे खुद छह मोहल्ला क्लास शुरू कर चुके हैं। गांव के शिक्षित लोगों को भी इसके लिए तैयार किया। बच्चों को संक्रमण से बचाने मॉस्क, सेनेटाइजर भी उपलब्ध कराया।

दिन में खाने का और रात में लौटने का अब नहीं रहा निश्चित समय
अनलॉक में प्रतिदिन पॉजिटिव केस बढ़ रहे है। ऐसे में मरीज सामने आते ही उसकी कॉन्टेक्ट हिस्ट्री निकालना सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है। इसकी जिम्मेदारी विक्टोरिया अस्पताल के डॉ. अमजद खान देख रहे हैं। काम इतना महत्वपूर्ण है कि कई बार दिन का भोजन तक छोड़ देना पड़ता है। वर्तमान में शहर के अलग-अलग इलाके में लोग पॉजिटिव आ रहे हैं। देर रात तक लैब से रिपोर्ट मिल रही है। ऐसे में सुबह से देर रात तक अलर्ट रहना पड़ता है। जैसे ही रिपोर्ट आती है संक्रमित के घर तक पहुंचकर उसकी कॉन्टेक्ट ट्रेस और हिस्ट्री तैयार करना जरुरी हो जाता है। इसमें देर नहीं कर सकते। हां...कई लोग फोन पर ही आइसोलेशन के लिए कन्वेन्स हो जाते है। उन्हें तुरंत शिफ्ट कर दिया जाता है। लेकिन कुछ ए-सिम्पोटोमेटिक व्यक्ति यह मानने को तैयार नहीं होते कि उन्हें कोरोना हुआ है। इन्हें समझाने में वक्त लग जाता है।

मशीन खरीदने की जगह दिया हाथों को काम
लॉकडाउन में कई तरह के उद्योग बंद हो गए। बेरोजगारी बड़ी समस्या बनकर सामने आयी। ऐसे में महिला उद्यमी अर्चना भटनागर ने नवाचार करते हुए हैंड सेनिटाइजर तैयार करना शुरू कराया। मशीनों की बजाय उन्होंने 25 लोगों को रिछाई औद्योगिक क्षेत्र में काम देना उचित समझा। हैंड सेनिटाइजर की छोटी पैकिंग करने का काम दिया। इसमें भी ज्यादातर महिलाएं हैं। उद्यमी अर्चना भटनागर ने बताया कि इस काम के लिए मशीन भी उपयोग की जा सकती थी। लेकिन मैने बेरोजागारी व तंगी से जूझ रहे लोगों का ख्याल आया। यदि मैं अपने नियमित श्रमिकों के अलावा अतिरिक्त लोगों को रोजगार दे सकूं इससे बेहतर क्या हो सकता था। अभी भी अधिकांश महिलाएं काम कर हैं।

सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क पहले से अधिक जरूरी
अनलॉक में कोरोना का संक्रमण जिस तेजी से फैल रहा है। उसमें सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क पहले से अधिक जरूरी हो गया है। इसके लिए एक थाना प्रभारी के प्रयास कई जिलों पर भारी साबित हुआ। गोहलपुर टीआई रवींद्र कुमार गौतम ने अनलॉक में 7 हजार लोगों पर सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क न पहनने के चलते कार्रवाई की। यहां तक कि सार्वजनिक स्थल पर थुकने पर चार लोगों से एक-एक हजार जुर्माना वसूल कर लोगों को साफ-सफाई का संदेश दिया। 100 से अधिक लोगों पर 188 भादवि की कार्रवाई कर चुके हैं। ऐसे लोगों से 7.50 लाख जुर्माना वसूल चुके हैं। ये आंकड़ा इस कारण महत्वपूर्ण है कि जबलपुर जिले में कुल 36 थानों में 50 हजार कार्रवाई की गई। कटनी, सिवनी, छिंदवाड़ा के जिलों में भी सात-सात हजार लोगों पर कार्रवाई नहीं हुई है।
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