
जबलपुर। निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ एक और जनहित याचिका दायर की गई। याचिका में कहा गया कि निजी स्कूलों को नियमित फिजिकल क्लासेस संचालित करने की मान्यता दी गई है, इसके बावजूद स्कूल नियमों के खिलाफ ऑनलाइन क्लासेस चला रहे हैं। चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल व जस्टिस राजीव कुमार दुबे की डिवीजन बेंच ने इस याचिका को पहले से लम्बित जनहित याचिकाओं के साथ लिंक करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने इसकी सुनवाई 10 अगस्त को नियत की।
वॉक एंड क्लीन ग्रुप, जबलपुर के अध्यक्ष अधिवक्ता अमित सिंह की ओर से अधिवक्ता अतुल कुमार जैन ने तर्क दिया कि कोराना संकट काल में ऑनलाइन क्लासेस के नाम पर फीस तो वसूली जा रही है, लेकिन गुणवत्ताविहीन पढ़ाई कराई जा रही है। इसके अलावा ऑनलाइन क्लासेस के कारण छात्रों की सेहत पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। सुनवाई के दौरान राज्य की ओर से उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली उपस्थित थे।

हाईकोर्ट ने पहले दिया है ये आदेश
हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी निजी स्कूलों को सख्त ताकीद की है कि कोरोना काल में स्कूल फीस जमा न करने के आधार पर किसी भी छात्र-छात्रा का नाम न काटा जाए। निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस वीके शुक्ला की डिवीजन बेंच ने 28 जुलाई को जारी आदेश में यह महत्वपूर्ण निर्देश दिए।
इस दिशा-निर्देश मामले की सुनवाई की आगामी तिथि 10 अगस्त तक गम्भीरता से पालन सुनिश्चित करने को कहा गया। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने कोरोनाकाल में ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली को कठघरे मे रखा। राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव व उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने जवाब प्रस्तुत किया। स्पष्ट किया कि राज्य के सभी निजी स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस लेने का अधिकार है, अन्य कोई भी शुल्क वसूलने की मनाही है। जवाब को रेकॉर्ड पर लेकर कोर्ट ने फीस न देने पर किसी छात्र के भविष्य से खिलवाड़ न करने का अंतरिम आदेश जारी किया।
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