
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ( UGC) से फाइनल ईयर के एग्जाम को लेकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। पिछले सप्ताह दिल्ली यूनिवर्सिटी ( DU) ने फाइनल सेमेस्टर की परीक्षाएं Open Book पैटर्न पर कराने का फैसला लिया है। इस फैसले के विरोध में दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर हुई है। याचिका में Open Book Exam की लंबी प्रक्रिया पर आपत्ति जताई गई है। इसी मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने UGC से परीक्षाओं को लेकर सवाल किए हैं।
जस्टिस प्रतिभा एम सिंह की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए UGC से अप्रैल में जारी की गई उन गाइडलाइंस को स्पष्ट करने को कहा। जो देश भर की यूनिवर्सिटी में फाइनल एग्जाम कराने को लेकर थीं। हाईकोर्ट ने पूछा है कि open Book जैसी लंबी प्रक्रिया की बजाए क्या यूनिवर्सिटी एमसीक्यू, ओपन चॉइस या प्रोजेक्ट बेस्ड परीक्षाएं करा सकती हैं?
DU ने कहा - हम UGC की गाइडलाइन से मजबूर
मामले में दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU)का कहना है कि चूंकि UGC की गाइडलाइन में फाइनल ईयर की परीक्षाएं किसी भी सूरत में कराना अनिवार्य है। इसलिए ओपन बुक एग्जामकराए जा रहे हैं। और कोई रास्ता नहीं है।
UGC ने कहा - फाइनल ईयर के एग्जाम कराने ही होंगे
मामले की सुनवाई के दौरान यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ( UGC) ने फाइनल ईयर के एग्जाम कराने की अनिवार्यता पर ही जोर दिया है। UGC ने अपनी गाइडलाइंस का हवाला देते हुए कोर्ट से कहा, कि फाइनल ईयर में इंटरनल असेसमेंट के जरिए मार्क्स देना संभव नहीं है। UGC का मानना है कि ऐसा करने से सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होंगे।
ओपन बुक एग्जाम से पहले हुए मॉक टेस्ट में स्टूडेंट्स को हुई थी परेशानी
ओपन बुक एग्जाम से पहले डीयू यूजी और पीजी के फाइनल ईयर स्टूडेंट्स के मॉक टेस्ट करा रही है। जिससे वे एग्जाम की प्रोसेस से फैमिलियर हो सकें। लेकिन, डीयू का सर्वर इस मॉक टेस्ट को ही नहीं झेल पाया था। 2 जुलाई से शुरू हुए मॉक टेस्ट में स्टूडेंट्स को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा था। हालांकि बाद में डीयू ने एग्जाम की तारीख बढ़ाकर अगस्त में कराने का फैसला लिया था। पहले परीक्षाएं 10 जुलाई से शुरू होनी थीं।
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