
जबलपुर। कोरोना लॉकडाउन के चलते शराब कारोबारियों द्वारा दायर की गई याचिकाओं को निराकृत करते हुए राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है। महाधिवक्ता कार्यालय से जारी मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि राज्य सरकार को शराब ठेकों से लागत लगभग कुल राजस्व का 17त्न राजेश्वर राजस्व प्राप्त होता है। कोविड-19 के समय जब अन्य स्रोतों से राजस्व प्राप्त नहीं हो रहा था ऐसी स्थिति में सरकारी खर्चे चला पाना सरकार के लिए अत्यंत कठिन हो गया।
इसी बीच प्रदेश के शराब ठेकेदारों ने उच्च न्यायालय में लगभग 3 दर्जन से अधिक याचिका प्रस्तुत कीं। जिनमें कहा गया कि मार्च माह के अंत तक ठेकेदारी में उनके द्वारा भाग लिया गया था उस समय कोविड-19 की इतनी भयानक स्थिति नहीं थी। ऐसे में जिस बड़ी राशि पर उन्होंने ठेके लिए हैं वह बहुत अधिक हैं। उन्हें कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए ठेके से बाहर आने दिया जाए साथ ही उनके द्वारा जमा की गई धरोहर राशि वापस की जाए। इसके अलावा सरकार से शराब ठेके दोबारा ऑक्शन किए जाने की बात भी कही थी।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा प्रारंभिक सुनवाई के दौरान ठेकेदारों पर कोई भी कार्रवाई करने पर रोक लगा दी गई। जिसके उपरांत सरकार के आवेदन पर उन दुकानों को पुन: ऑक्शन की अनुमति दी जो ठेका चलाना नहीं चाहते थे।
किंतु ठेकेदारों द्वारा पूर्व में जमा धरोहर राशि को राजसात किए जाने पर रोक लगाई थी। बुधवार को न्यायाधीश ए के मित्तल एवं विजय कुमार शुक्ला की अदालत ने अंतिम फैसला देते हुए सभी याचिकाओं को निराकृत कर दिया। फैसले में कोर्ट ने कहा पूर्व में आवंटित ठेकों के लिए पुन: ऑक्शन करने की आवश्यकता नहीं है। ठेकेदार चाहे तो सरकार के समक्ष ठेके की अवधि को 2 माह के लिए बढ़ाने का आवेदन कर सकते हैं। जिसके लिए सरकार ने स्वयं ही पहले स्वीकृति दे दी है।
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