मप्र सरकार ने कहा जबलपुर की सीवर लाइन के लिए नहीं है पैसा

जबलपुर। हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से दो-टूक लहजे में कहा गया कि महामारी के मौजूदा हालात में जबलपुर का सीवर लाइन कार्य पूरा करने के लिए नगर निगम जबलपुर द्वारा डीपीआर के तहत मांगी गई राशि जारी नहीं की जा सकती। केंद्र शासन द्वारा गाइडलाइन जारी होने के बाद इस सम्बंध में कोशिश की जाएगी। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने सरकार के जवाब को रिकॉर्ड पर ले लिया। कोर्ट नगर निगम जबलपुर को इस जवाब पर अपना पक्ष पेश करने का निर्देश दिया।

कांग्रेस नेता सौरभ नाटी शर्मा की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने कोर्ट को बताया कि जबलपुर में 2006 से सीवर लाइन का कार्य जारी है। लेकिन इसकी गति कछुआ समान धीमी है। सीटीई की रिपोर्ट के मुताबिक अब तक 490 करोड़ रुपए खर्च होने के बावजूद महज 34 फीसदी कार्य पूर्ण हो सका है।

533 करोड़ की जरूरत
उन्होंने बताया कि नगर निगम, जबलपुर ने प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन को डीपीआर भेजा है। सीवर लाइन का अटका हुआ कार्य सुचारू करने के लिए 533 करोड़ की आवश्यकता दर्शाई गई है। लेकिन यह राशि जारी नहीं हो रही है। इससे सीवर लाइन का काम जहां का तहां रुका हुआ है। इससे शहरवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
मानसून से पहले पूरा करना जरूरी: अधिवक्ता संघी ने तर्क दिया कि चीफ टेक्निकल एग्जामिनर की रिपोर्ट पेश हो चुकी है। जिसके मुताबिक कई जगहों पर सीवर लाइन के साथ जबलपुर में जल प्रदाय की लाइन भी कनेक्ट है। यदि मानसून से पूर्व सीवर लाइन का कामकाज पूरा नहीं होता तो दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

नगर निगम की मांग नहीं कर सकते पूरी
सोमवार को राज्य सरकार ने अपने जवाब में साफ किया कि नगर निगम, जबलपुर ने 533.11 करोड़ रुपए की डीपीआर भेजा है। कोविड संकट व सीमित संसाधनों को देखते हुए यह मांग फिलहाल पूरी करना असंभव है। जल जीवन मिशन( अर्बन) के तहत केंद्र शासन के द्वारा भविष्य में गाइडलाइन व राशि जारी किए जाने की संभावना है। जिसके आधार पर भौतिक निरीक्षण के बाद जबलपुर की सीवर लाइन के लिए मूल्यांकित राशि जारी करने की कोशिश की जाएगी। ताकि सीवर लाइन का शेष कार्य 48 माह में पूर्ण हो सके। कोर्ट ने जवाब पर ननि का पक्ष जानना चाहा। अगली सुनवाई 16 अप्रैल नियत की गई।



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