
जबलपुर। लोगों की लाइफ से अब अर्ली स्लीप और अर्ली वेकअप का कॉन्सेप्ट दूर हो गया है। लोगों की बायोलॉजिकल क्लॉक मे बदलाव हुआ तो नींद ने भी लोगों से अपनी दूरी बना ली। अधिक स्ट्रेस लेने, वर्किंग आवर अधिक होने और नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों का स्लीपिंग टाइम अब कम होते जा रहा है। प्रॉपर नींद न लेना वर्तमान में बड़ी समस्या हो गई है। अनलिमिटेड मोबाइल चैटिंग, नेट सर्फिंग भी नींद के घंटों को कम कर रही है, क्योंकि हमारे उठने का टाइम तो फिक्स है, लेकिन रात में सोने का टाइम बिगड़ गया है। विशेषज्ञ अच्छी लाइफ जीने के लिए कम से कम आठ घंटे की नींद प्रतिदिन हर व्यक्ति को लेने की सलाह देते है।
मोबाइल में बीत रहा अधिक समय
शहर में ज्यादातर लोग इस प्रॉब्लम से जूझ रहे हैं, क्योंकि स्टूडेंट्स लेट नाइट स्टडी कर रहे हैं, युवा मोबाइल में ज्यादा से ज्यादा टाइम स्पेंड कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग नाइट शिफ्ट में काम कर रहे हैं। इसका परिणाम उनमें चिढ़चिढ़ापन, कम नींद आना, इम्यून सिस्टम वीक होने जैसी प्रॉब्लम सामने आ रही हैं।
कम नींद लेने के नुकसान
- ब्रेन सुस्त होता है।
- चिड़चिड़ापन आता है।
- मेंटल और फिजिकल थकान होती है।
- शुगर, थायराइड और
हार्ट प्रॉब्लम होना
- स्ट्रेस रहना।
- किसी काम में मन नहीं लगना।
- आंखों के नीचे काले घेरे होना।
इसलिए दूर हो रही है नींद
- देर रात तक चैटिंग करना।
- रात में चाय या फिर कॉफी पीना।
- लेट नाइट स्टडी करना।
- स्ट्रेस लेना या दिमाग में कुछ बातें चलना।
- नाइट शिफ्ट जॉब करना
अच्छी नींद के लिए ये जरूरी
- नशे से दूर रहे।
- सोने से पहले चाय या कॉफी न पीएं।
- सोने के पहले थोड़ी वॉक जरूरी।
- रोजाना वॉक के साथ मेडिटेशन और योग करें।
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