
जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने राज्य में ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत से अधिक करने पर रोक बरकरार रखी। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने जिन-जिन मामलों में जवाब पेश नहीं किया गया, राज्य सरकार को उन मामलों में अंतिम सुनवाई के पहले जवाब पेश करने को कहा है। इस सम्बंध में दायर सभी याचिकाओं की अंतिम सुनवाई 19 अप्रैल को करने के निर्देश दिए गए।
हाईकोर्ट में 19 अप्रैल को होगी अंतिम सुनवाई
जबलपुर निवासी असिता दुबे सहित अन्य 29 की ओर से याचिकाएं दायर कर कहा गया कि राज्य सरकार ने वर्ष 2019 में ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी वाले फैसले में स्पष्ट किया है कि आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर 2020 को महाराष्ट्र सरकार द्वारा दिए गए 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण को निरस्त कर दिया है। इसके बावजूद ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिए जाने से आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत को पार कर गई है। वहीं ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से भी याचिका दायर कर 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का समर्थन किया गया।
ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी से अधिक करने पर फिलहाल रोक बरकरार
बुधवार को याचिकाकर्ता ओबीसी वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से तर्क दिया गया कि पूर्व आदेश के चलते सरकार ओबीसी वर्ग को निर्धारित 14 फीसदी का लाभ नहीं दे रही है। सरकार की ओर से भी आग्रह किया गया कि फिलहाल ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी से अधिक कर बढ़ाए गए आरक्षण को हाईकोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन किए जाने पर विचार किया जाए। कोर्ट ने इन आग्रहों पर अगली सुनवाई पर विचार करने के निर्देश दिए। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी, ब्रहमेन्द्र पाठक व हस्तक्षेपकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह, विनायक शाह ने पक्ष रखा। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आरके वर्मा हाजिर हुए।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://bit.ly/2Pq2M4U
#jabalpur
0 Comments