
जबलपुर. Corona return, दुकानों के सामने फिर बन गए गोले और दफ्तरों के एंट्री प्वाइंट पर सेनेटाइजेशन भी शुरू हो गया। ये सब तब है जब शहर साल पूरा होते होते फिर से कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आ गया। 32 घंटे ही सही पर शहर में एक बार फिर तालाबंदी करनी पड़ी। इसके लिए जिम्मेदार कौन, यह सवाल तो बनता है, लेकिन इसका सीधा सा जवाब है सामूकि लापरवाही। शासन, प्रशासन के साथ आमजन का कोरोना के प्रति बेहद लापरवाह, गैर जिम्मेदार होना ही है। इसके अलावा और कुछ नहीं।

अब जब जिले में फिर से कोरोना ने शतकीय पारी खेलनी शुरू कर दी है, तब जा कर लोगों को साल भर पुराने नियम, सख्त नियम की याद आई है। चाहे वो व्यापारी वर्ग हो या निजी या सरकारी दफ्तर। विश्व स्वास्थ्य संगठन, आईसीएमआर, केंद्र व राज्य सरकारें लगातार लोगों को सचेत करती रहीं कि अभी कोरोना गया नहीं है। लेकिन कोई मानने को तैयार ही नहीं था। लंबे लॉकडाउन के बाद जैसे ही अनलॉक शुरू हुआ लोग भी पुराने अंदाज में आ गए। चेहरे से मास्क उतर गया। देह की दूरी का फार्मूला भूल गया। हाथों को बार-बार साबुन से धोना और सेनेटाइज करने की आदत भी छूट गई। फिर टीकाकरण शुरू होते ही लोगों ने ये मान लिया कि कोविड-19 वैक्सीन की एक डोज क्या लगी कोरोना छू मंतर हो गया। तो उस अदृश्य वायरस ने फिर से लोगों को बंदिशों में जीने को विवश कर दिया है।
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आलम यह है कि 21 मार्च की रात जब शहर में पूर्ण तालाबंदी रही, तब वायरोलॉजी लैब से जो रिपोर्ट मिली उसमें कोरोना के 102 नए पॉजिटिव केस मिलना बताया गया। शनिवार की शाम 6 बजे से रविवार की शाम 6 बजे तक 24 घंटे के दौरान मिले कोरोना के 102 संक्रमित व्यक्तियों को मिलाकर जबलपुर में अब कोरोना मरीजों की संख्या 17 हजार 674 तक पहुंच गई है। इस तरह जबलपुर में कोरोना के एक्टिव केस अब 602 हो गए है। शुक्र है कि मौत के आंकड़े में कोई वृद्धि दर्ज नहीं की गई है। कोरोना से जान गंवाने वाले मरीजों की संख्या 252 ही है ।
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