
जबलपुर। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के वैज्ञानिकों की ओर से तैयार की गई सरसों की नई किस्म अब किसानों के लिए लाभ का धंधा बनेगी। सरसों की नई वैरायटी 'आरवीएम-2Ó न केवल उत्पादन बढ़ाने में सक्षम होगी बल्कि यह असिंचित क्षेत्रों के लिए भी फायदेमंद साबित होगी। नई वैरायटी को जिले में ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचाने के लिए कृषि वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। यह वैरायटी प्रदेश के किसानों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस वैरायटी में सरसों के एक दाने से 50 फीसदी तक तेल निकलता है। अभी तक फसलों में केवल 30 से 35 फीसदी ही तेल निकाला जा सकता था।
मॉडल के माध्यम से वैज्ञानिक कर रहे प्रोत्साहित
कृषि वैज्ञानिकों ने 20 हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों की इस प्रजाति को तैयार किया है। साथ ही किसानों को भी प्रेक्टिकल रूप से इसे बताया जा रहा है। वैज्ञानिक डॉ. डीके सिंह कहते हैं कि किसानों को फसल की खूबियों के बारे में परिचित कराने के साथ ही इस मॉडल में खेती का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिले के किसानों को सरसों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने में वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि जबलपुर के कुंडम, शहपुरा, पनागर तहसील जहां पानी का संकट है, वहां सरसों की इस नई वैरायटी को आसानी से लगाया सकता है। यह संचित और असंचित दोनों ही जगह कारगर साबित होगी। जिले में सरसों की खेती का रकबा करीब 35 हेक्टेयर है। जिसे बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक प्रयास कर रहे हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉ. एके सिंह ने बताया कि सरसों की नई वैरायटी में पचास फीसदी अधिक तेल मिलता है। यह वैरायटी मप्र को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। इसे लगाकर एक साथ दोहरा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। हम मॉडल के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षण दे रहे हैं।
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