
जबलपुर। 20 मार्च वही तारीख है जब दुनिया भर में कहर बरपाने वाला कोरोना संक्रमण जबलपुर शहर पहुंचा। प्रदेश के पहले चार कोरोना मरीज शहर में मिले। इस बात को एक साल बीत गए है। लेकिन, कोरोना के प्रवेश के बाद जीवन में जोर उतार-चढ़ाव और संक्रमण का भय लम्बे समय तक लोगों ने झेला, उससे अभी तक लोग उबर नहीं सकें है। यह अच्छी बात रही है कि सबसे पहले कोरोना आक्रमण के शिकार होने के बाद भी हम सबसे पहले सम्भलें। प्रशासन के साथ आम लोगों ने मिलकर सुरक्षा, संयम और समझदारी दिखाई। सबसे पहले संक्रमण पर काबू पाया। संक्रमण के रोकथाम के शहर के मॉडल की चर्चा पूरे प्रदेश में हुई। लेकिन जब हम संकट से उबरकर सुरक्षित जोन की तरफ बढ़ रहे थे। तभी कोरोना से बचाव में लापरवाही बरती जाने लगी। मास्क लगाने, दो गज की दूरी और हाइजीन की बुनियादी बातों को लोग मानने से दूर होते चले गए। इसका खामियाजा यह रहा है कि संक्रमण काल का साल बीतते-बीतते एक बार फिर कोरोना लोगों के पास आने लगा है। संक्रमण फिर से फैल रहा है।
इन उपायों से कमजोर पड़ा था कोरोना
- शहर में संक्रमित मिलते ही सबसे पहले लॉकडाउन किया। सख्ती से पालना कराई।
- देशव्यापी लॉकडाउन के समय मुस्तैदी। ड्रोन से शहर की निगरानी की गई।
- लॉकडाउन में कोरोना संदिग्धों की एडवांस ट्रेकिंग। अनलॉक में पूल सेम्पलिंग बढ़ाई।
- बाजारों में भीड़ को रोकने ऑनलाइन ऑर्डर व बुकिंग प्रक्रिया। होम डिलेवरी पर जोर।
- स्थिति सम्भली तो संडे लॉकडाउन। बाकी दिन रात 8 से सुबह 7 बजे 11 घंटे का बंद।
- अनलॉक के दौरान मास्क नहीं लगाने वालों की लगातार जांच और जुर्माना।
- संक्रमण का फैलाव पता लगाने के लिए भीड़ वाली जगह से रेंडम सेम्पलिंग की गई।
- शादी-पार्टी में अचानक छापेमारी। कोविड गाइडलाइन नहीं मानने पर कार्रवाई।
- मास्क , सेनेटाइजर वितरण सहित कोरोना जागरुकता के लिए लगातार अभियान हुए।
- होटल, बाजार, कार्यक्रम में सोशल डिस्टेंसिंग ना रखने पर अर्थदंड की कार्रवाई।
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