
जबलपुर। टीवी पर आने वाल 'ऑफिस-ऑफिस में किसी भी सरकारी सिस्टम की पोल खोलता था। असल में भी इस तरह के घटनाक्रम होते रहते हैं। जबलपुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी वहां के बाबुओं ने ऐसा कारमाना किया, जो हैरान करने वाला है में पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र मिलने में लेटलतीफी की शिकायत करने गई युवती को अधिकारियों की अभद्रता झेलना पड़ी। एक महीने तक भटकाने के बाद भी अस्पताल की ओर गलत मृत्यु प्रमाण पत्र थमा दिया गया। इस पर पीडि़त शाहीनाका गढ़ा निवासी प्रीति नाग ने पूर्व विधायक हरेंद्रजीत सिंह के साथ सम्भागायुक्तसे मुलाकात की। मेडिकल के अधिकारियों की लापरवाही के बारे में बताया। प्रीति का आरोप है कि उसके पिता मोरेंद्र सिंह नाग की एक फरवरी को मेडिकल में उपचार के दौरान मृत्यु हो गई। उसने 11 फरवरी को पिता के मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया। उसके 15 दिन बाद उसे प्रमाण पत्र देने के लिए कहा गया। लेकिन, जब वह प्रमाण पत्र लेने के लिए पहुंची तो सम्बंधित शाखा के कर्मचारी लगातार दस्तावेजों में कुछ न कुछ कमियां निकालकर उसे परेशान करने लगे। मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने में जानबूझकर देर कर रहे थे।
इसकी शिकायत करने के लिए वह मेडिकल अधिकारियों के पास गई तो वहां निजी सुरक्षा एजेंसी के कर्मचारियों ने उसके साथ अभद्रता की। बलपूर्वक कार्यालय के बाहर कर दिया। दुव्र्यवहार का विरोध करने और उच्चाधिकारियों को शिकायत की चेतावनी देने के बाद मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया। इसमें मृतक की आयु 75 वर्ष की जगह 32 वर्ष दर्ज कर दी। इस त्रुटि के सुधार के लिए पहुंची, तो कर्मचारियों ने फिर परेशान किया। पीडि़त का आरोप है कि अस्पताल में मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए बाहर से आने वाले लोगों को जानबूझकर कर्मचारी और अधिकारी परेशान करते हैं। इससे उनकी मंशा संदिग्ध है। सम्भागायुक्तसे मामले में कार्रवाई की मांग की है।
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