
जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, राज्य निर्वाचन आयोग व अन्य से पूछा कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में समुचित आरक्षण क्यों नहीं किया गया? चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने यह भी पूछा कि एक साल पुराने नोटिफिकेशन के आधार पर ये चुनाव क्यों कराए जा रहे हैं? कोर्ट ने दो सप्ताह के अंदर जवाब मांगते हुए अगली सुनवाई 9 अप्रैल नियत की। सीधी जिले की मझौली तहसील के मझगवां ग्राम के पूर्व सरपंच छोटेलाल चर्मकार की ओर से यह जनहित याचिका दायर की गई। अधिवक्ता अनूप सिंह बघेल ने कोर्ट को बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने की योजना बनाई है। जबकि इसके लिए एक साल पूर्व 20 जनवरी 2020 को नोटिफिकेशन जारी किया गया था। इसके बाद 18 मार्च 2021 को दूसरा नोटिफिकेशन जारी किया गया। दोनों के बीच लगभग एक वर्ष का समयांतराल है। जो अनुचित है। इसके अलावा इस चुनाव में अपनाई जा रही आरक्षण नीति भी गलत और अवैधानिक है। सीधी जिले की अतरैला ग्राम पंचायत का उदाहरण देते हुए अधिवक्ता अनूप सिंह ने तर्क दिया कि इस पंचायत में एक भी अनुसूचित जाति का व्यक्ति नहीं है। इसके बावजूद यहां के सरपंच का पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया। इसी तरह पूरे प्रदेश में अनियमितता की गई है। याचिका में कहा गया कि प्रदेश में कोरोना महामारी का संकट एक बार फिर बढ़ गया है। कई शहरों में रात्रिकालीन कफ्र्यू लगा दिए गए हैं। 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं भी 18 मई तक हैं। ऐसे में फिलहाल त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराना अनुचित होगा। आग्रह किया गया कि इन चुनावों पर रोक लगाई जाए। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार, पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग प्रमुख सचिव, राज्य निर्वाचन आयोग, सीधी कलेक्टर सहित अन्य से जवाब तलब किया।
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