बैलेंसिंग रॉक की खूबसूरती के बीच ज्ञानरंजन ने पढ़ा-उन लोगों का कवि हूं जो जुटे हुए हैं धंधों में

जबलपुर। अजूबे की तरह लोगों को आकर्षित करने वाली जबलपुर की बैलेसिंग रॉक के पास हरे-भरे पेड़, शीतल बयार, प्राकृतिक वातावरण के शहर के बीच साहित्यकारों, चित्रकारों, रंगकर्मियों, वास्तुविद, इंजीनियरों, पर्यटकों, विद्यार्थियों का जमावड़ा हुआ। खास बात यह थी कि यहां पहल के संपादक व कथाकार ज्ञानरंजन ने भवानी प्रसाद मिश्र की अनुवादित बंगला कविता 'उन लोगों का कवि हूं जो जुटे हुए हैं धंधों मेंÓ का पाठ किया। इस लिहाज से जबलपुर स्केचिंग क्लब के तत्वावधान में आयोजित महिला दिवस की पूर्व संध्या पर कविता पाठ कार्यक्रम बेहद खास बन गया।

जबलपुर स्केचिंग क्लब के सदस्यों के साथ नगर के साहित्यकारों, चित्रकारों, रंगकर्मियों, वास्तुविद, इंजीनियरों, पर्यटकों, विद्यार्थियों ने महिला की साहस, शक्ति, बुद्धिमत्ता, भागीदारी और आगे बढऩे की इच्छा को रेखांकन, काव्य पाठ व संगीतमय गायन से प्रदर्शित किया। आयोजन की महत्वपूर्ण बात थी कि डुमना नेचर पाक के प्रकृति प्रेमियों व पुलिस की कोड रेड टीम की भी कार्यक्रम में सहभागिता थी।

जबलपुर शहर के के रंगकर्मी वसंत काशीकर व अलंकृति श्रीवास्तव, आकृति श्रीवास्तव, कवि विवेक चतुर्वेदी, कथाकार पंकज स्वामी ने स्त्रियों पर केंद्रित कविताओं का पाठ किया। वसंत काशीकर ने उदयप्रकाश व कात्यायनी, अलंकृति श्रीवास्तव ने स्वरचित, अनामिका, कात्यायनी, आकृति श्रीवास्तव ने स्वरचित व प्रेमलता श्रीवास्तव, विवेक चतुर्वेदी ने नरेश सक्सेना, आलोक धन्वा, अनुराधा सिंह एवं पंकज स्वामी ने कात्यायनी, पवन करण व जसिंता केरकेट्टा की स्त्री प्रधान कविताओं का पाठ किया। नगर के 30 चित्रकारों ने बैलेंसिंग रॉक के इर्द-गिर्द रेखांकन कर भावनाओं को प्रदर्शित किया। चित्रकार संतोष नामदेव, अनुराग ठाकुर, रितुराज, विवेक साहू, आदित्य जैन, निकिता, तान्या बडक़ुल, अमित गुप्ता, डॉ. रेनु शाही (वाराणसी), रेणु पांडे, अजय गुप्ता, वासुदेव ने विभिन्न रेखांकन बनाए।



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